गाज़ियाबाद, लम्बे समय से ‘सामाजिक समता अभियान’ के तहत सभी अखाड़ों में कर्म आधारित व्यवस्था के आधार पर दलितों को शंकराचार्य बनाने के लिए आधात्मिक चिन्तक श्रीगुरु पवनजी द्वारा चलाई जा रही मुहिम आखिरकार रंग लायी. हाल ही में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने दलित समुदाय के संत श्री कन्हैया प्रभु नन्द गिरी को महामंडलेश्वर बनाने का निर्णय लिया है और जूना अखाड़ा में दलित सन्यासी प्रभु नंदगिरी जी का पट्टाभिषेक किया गया है.
आपको बता दें कि श्रीगुरु जी साल 2016 से पूरे देश में घूम कर लोगों को सामाजिक समता के प्रति जागरूक कर रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने देशभर में अनेक यात्रायें, गोष्ठियां, बैठकें, जन सभाएं आदि की और लगातार अनेक संतों के संपर्क में रहे. हालांकि यहाँ तक का सफर श्रीगुरु जी के लिए आसान नहीं रहा. उन्हें अनेक विरोधों का सामना भी करना पड़ा. अनेक धर्माचार्यों ने उनकी इस मुहिम का पुरजोर विरोध किया | लेकिन श्रीगुरु पवन जी ने अपनी ये मुहिम जारी रखी.
सामाजिक समता अभियान के प्रणेता अध्यात्मिक विभूति श्रीगुरु पवन जी कहते हैं कि जन्मगत जाति-व्यवस्था मूल सनातन धर्म की व्यवस्था नहीं है बल्कि समाज में कुछ लोगों के द्वारा प्रभाव स्थापित करने और समाज के संसाधनों पर अधिकार करने की कवायद है जिस पर धर्म का मुल्लमा चढ़ा दिया गया. इससे सनातन समाज टूटता और बँटता गया. इस व्यवस्था ने देश को न केवल कमज़ोर किया, गुलाम बनाया बल्कि देश की विश्वगुरु की छवि को भी समाप्त कर दिया. उनका मानना है कि अगर कोई व्यक्ति योग्य है तो उसे शंकराचार्य जैसे उच्च पद आसीन होने के लिए किसी विशेष जाति का होना बिल्कुल भी आवश्यक नहीं |
श्रीगुरुजी की इस बात को आखिरकार धर्मगुरुओं ने भी माना है और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् द्वारा दलित समुदाय के संत को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला किया गया है.