नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन के बयान के बाद शुक्रवार को जांच के सिलसिले में सीएम केजरीवाल के आवास पहुंची दिल्ली पुलिस ने वहां लगे 21 कैमरों को सीज कर अपने कब्जे में ले लिया है. पुलिस का कहना है कि सीएम आवास में लगे कैमरों का टाइम 40 मिनट पीछे किया गया है. पुलिस ने यह भी कहा है कि जहां मुख्य सचिव से मारपीट हुई, वहां सीसीटीवी नहीं लगे थे और उन्हें सीसीटीवी फुटेज देने से भी मना किया गया.
There are 21 cameras installed out of which 14 were operational& recording was off in 7. There was no camera in the room where the incident took place. The cameras were running behind time by 40 minutes. We have seized recordings of 21 CCTV cameras & a hard disk:ADGP North #Delhi pic.twitter.com/ItMJECUi9h
— ANI (@ANI) February 23, 2018
पुलिस की तरफ से कहा गया कि हम सबूत जुटाने के लिए सीएम आवास गए थे. सीएम अरविंद केजरीवाल से पूछताछ नहीं की गई. कई सीसीटीवी में रिकॉर्डिंग ही नहीं हुई है. दिल्ली पुलिस की टीम ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पहुंचकर उनके स्टॉफ से पूछताछ की.
मेरे सामने अंशु प्रकाश से मारपीट हुई- वीके जैन
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में दिए अपने बयान में कहा था कि ‘उनके सामने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट हुई थी’. बयान में उन्होंने कहा कि ‘जिस वक्त अंशु प्रकाश के साथ मारपीट हो रही थी, सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया वहीं मौजूद थे.’ वहीं आम आदमी पार्टी(AAP) ने वीके जैन के बयान पर कहा कि ‘पुलिस के दवाब में वीके जैन ने बयान बदला है.’
Alleged assault of Delhi Chief Secretary Anshu Prakash case:Police arrives at CM Arvind Kejriwal's residence to review CCTV visuals pic.twitter.com/VrroGWjLwK
— ANI (@ANI) February 23, 2018
14 दिन की न्यायिक हिरासत पर हैं दोनों विधायक
इस मामले में गुरुवार (22 फरवरी) को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने AAP विधायक प्रकाश जारवाल और अमानतुल्लाह खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया था. अदालत ने साथ ही उनकी जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला शुक्रवार तक सुरक्षित रख लिया. अदालत ने बीते बुधवार को दोनों विधायकों को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में भेजने की मांग की थी. अदालत ने मुख्य सचिव से कथित हाथापाई को ‘‘बेहद संवेदनशील’’ मामला बताया था. मजिस्ट्रेट ने विधायकों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ का दिल्ली पुलिस का अनुरोध ठुकरा दिया था और कहा था कि विधायक जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं और उनके पास से मामले से जुड़ी कोई चीज बरामद नहीं की जानी है जो पुलिस हिरासत का मूल उद्देश्य होता है.