नई दिल्ली : रामायण की कहानी बेहद रोचक और सीख देने वाली है। इस कहानी में मर्यादा पुरषोत्तम राम के आदर्श हैं ,भरत का प्यार है ,लक्ष्मण का समर्पण है और सीता माता का विश्वास है।
सीता की ख़ोज में पार किया समंदर
आप सभी ही बचपन से ही इन पात्रों के बारे में और इस कहानी के बारे में सुनते हुए आये होंगे और इस कहानी के एक अभिन्न किरदार ‘ हनुमान जी’ के बारे में आपने काफी सुना होगा कि किस तरह से वो समंदर पार करके सीता माता का पता लगाने रावण की लंका में गए थे।
सोने की लंका बदली राख में
वहां जाने के बाद हनुमान जी ने रावण को सबक सिखाते हुए उसकी पूरी सोने की लंका में आग लगा दी थी। लेकिन आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे कि पूरी लंका जला कर खाक करने वाले हनुमान एक भवन में आग लगाना तो दूर उसे छू भी नहीं पाए थे और वो भवन किसी और का नहीं बल्कि रावण के भाई विभीषण का ही था।
नहीं लगा सके थे हनुमान इस भवन में आग
इसके पीछे की कहानी काफी रोचक है। दरअसल पूरी लंका में आग लगाने के बाद जब हनुमान विभीषण के भवन में पहुंचे तो वहां की काया कल्प देखकर वो उस भवन में आग नहीं लगा सके। राक्षस योनि में जन्म लेने के बावजूद रावण का भाई विभीषण विष्णु भगवान का बड़ा भक्त था इसलिए उसने अपने भवन के द्वार पर तुलसी का पौधा लगा रखा था। साथ ही भगवान विष्णु का पावन चिह्न शंख, चक्र और गदा भी उसके भवन में बना हुआ था। सबसे बड़ी बात जो हनुमान जी को बेहद पसंद आयी वो ये थी कि विभीषण के भवन में राम नाम अंकित था। ये सब देखकर राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान भाव विभोर हो गए और विभीषण के भवन में आग नहीं लगा सके।
विभीषण ने ही की थी सबसे पहले हनुमान की स्तुति
वैसे तो तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा तथा बजरंग बाण में हनुमान जी की श्रद्धा पूर्वक स्तुति की है मगर हनुमान जी की पहली स्तुति और प्रार्थना करने का श्रेय विभीषण को ही जाता है। लंका दहन के समय भी जब रावण ने हनुमान को दंड देने का एलान किया था तब वो विभीषण ही थे जिन्होंने रावण का विरोध करते हुए हनुमान का पक्ष लिया था।
रावन का वध करके बनाया था विभीषण को राजा
इसके बाद भी जब रावण ने विभीषण को राज्य से बेदखल करके निकाल दिया तो विभीषण भगवान राम की शरण में गए थे। पहले तो हनुमान को थोड़ा आश्चर्य हुआ था कि रावण का भाई यहाँ किस मंशा से आया है मगर जिस तरह से विभीषण ने अपनी आप बीती हनुमान को बताई तो उन्होंने ही विभीषण का साथ देने का अटूट निश्चय कर लिया था। अंत में भी जब भगवान राम ने लंका नरेश रावन का वध किया था तो विभीषण को ही उस राज्य का नया राजा बनाने में भी हनुमान का बहुत बड़ा हाथ था।
छाती चीर कर दिखाया था राम का चित्र
भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान ने अपने जीवन काल में कई बार लोगों की मदद की। उन्होंने सुग्रीव को भी अपने भाई बाली से बचाते हुए उनको उनका राज्य वापस दिलाया और इसके बाद विभीषण को भी रावन से बचाकर लंका का राजा बनाया। हनुमान जी राम के सबसे अनन्य भक्त इसलिए हैं क्यूंकि एक बार उनसे पुछा गया कि उनके दिल में राम बसते है इसका कोई प्रमाण है तो उन्होंने अपनी छाती फाड़कर दिखा दिया कि उनके दिल में सच में राम बसते हैं।