जीएसटी 1 जुलाई से लागू होने जा रहा है। बहुत कुछ इसके कारण देश में आर्थिक रूप से बदल जाएगा। कुछ चीजें महंगी होंगी कुछ सस्ती। जीएसटी के कारण इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि आपकी बैंकिग टेलिकॉम सर्विस होटल और बीमा महंगा हो जाएगा इनसे जुड़ी कंपनियां बकायदा अपने कस्टमर्स को इसकी सूचना भी देने लगी है।
पिछले कुछ दिन से बैंक अपने ग्राहकों को मेल कर बता रहे है कि जुलाई से क्रेडिट कार्ड के बिल पर लगने वाला टैक्स 15 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हो जाएगा। इसी तरह टेलिकॉम कम्पनियों नें भी कहा था कि इनपुट टैक्स क्रेडिट पर लाभ जैसे कम होगा वैसे मासिक बिल में भी वृद्धि होगी।
हालांकि टेलिकॉम सेक्टर के लचर हालात को देख कर एयरटेल और आइडिया जैसी कम्पनियों ने मंत्रालय से कहा है कि टेलिकॉम सेक्टर के साथ आवश्यक सेवाओं की तरह समझना चाहिए और इसे जीएसटी के अंदर 18 फीसदी की जगह 5 या 12 फीसदी के स्लैब के अंदर रखना चाहिए। जब दरें पिछले महीने तय की गई थीं तो सरकार ने कहा था कि इनपुट क्रेडिट जो कंपनियों के लिए उपलब्ध होगा उस पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और इससे लगभग 3 फीसदी लागत कम हो जाएगी।
इंश्योरेंस कम्पनियों ने भी कहा है कि लैवी के 15 से 18 फीसदी होने से यह कर प्रीमियम को आगे बढ़ाएगा और सबसे ज्यादा असर प्योर टर्म पर पड़ेगा। यदि आप 1 करोड़ का प्लान के लिए 25000 रुपए का वार्षिक प्रीमियम लेते हैं तो जीएसटी के कारण यह 4500 का हो जाएगा, जो वर्तमान में 3750 रुपए है। यूलिप के लिए इसका प्रभाव कम होगा जहां कम्पनियों द्वारा मैनेजमेंट और मृत्यु दर के लिए लिया जाता है। अगर आपका प्रीमियम 10000 रुपए साल के ऊपर टैक्स के रुप में 75 रुपए देते है तो यह बढ़ कर 90 हो जाएगा।
इसके साथ ही 5 स्टार होटलों ने भी अपने ग्राहको को मेल कर बढ़े हुए टैक्स की जानकारी दे रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस टैक्स को वर्तमान के टैक्स के पास ही रखा गया है। सेवाप्रदाताओं के तर्क से सरकार नें किसी तरह की सहमति नही जताई है।
आप को बता दें कि एक अधिकारी नें बताया कि कम्पनियों को कम कीमतों के रुप अपनें ग्राहकों को इसका लाभ देना चाहिए हमने मंत्रालय को इस विषय पर सेवाओं प्रदाताओं के साथ जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कहा है ताकि ग्राहकों पर दबाव न पड़े।