नई दिल्ली : भारत धार्मिक मान्यताओं का संगम स्थल है। देश के विभिन्न हिस्सों से आये दिन नयी-नयी मान्यताओं और रीति-रिवाजों की ख़बरें आती ही रहती है। पर कभी कभार कुछ ऐसी मान्यताओं के बारे में जानने को मिलता है जिसके बारे में जानकार हमें हैरानी होती है कि आस्था के गहरे समंदर में कहीं हम इतना तो नहीं डूब गए हैं कि उससे पार पाना हमारे लिए असंभव हो गया है। विश्वास तक तो ठीक है मगर अंधविश्वास करना हमारी विकासशील सोच और समझदारी पर करारा तमाचा है।
अंधविश्वास और आडम्बर की जीती जागती मिसाल
देश के कई मंदिरों और वहां से जुडी मान्यताओं के बारे में आपने तो पढ़ा ही होगा कि किसी मंदिर में कई किलोमीटर तक लोट कर आने वाले भक्तों की मुराद ज़रूर पूरी होती है तो कहीं पर मुराद पूरी होने के बाद अपने बाल अर्पण करने की परम्परा है। परन्तु आज हम आपको देश के एक ऐसे मंदिर की कहानी और उससे जुड़ी ऐसी विचित्र मान्यता के बारे में बताने जा रहे हैं जो अन्धविश्वास और आडंबर की जीती जागती मिसाल साबित हो रहा है।
7 लड़कियां 15 दिनों तक रहती हैं नग्न
आज हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु राज्य के प्रसिद्ध मदुरै के एक मंदिर की। मदुरै स्थित ‘Yezaikatha Amman’ नामक इस मंदिर की 60 साल पुरानी एक ऐसी प्रथा है जिसके तहत गाँव की लड़कियों को लगभग 15 दिनों तक पूरी तरह से नग्न अवस्था में रखा जाता है। इस प्रथा के अंतर्गत लगभग 7 लड़कियों को चुना जाता है और 15 दिनों तक उनके कमर के ऊपर के कपड़े उतार दिए जाते हैं। शरीर के ऊपरी हिस्से को सिर्फ फूलों और आभूषणों से ही ढंका जाता है।
लड़कियों का चयन खुद पुजारी करता है
इस प्रथा में लगभग 60 से भी अधिक गाँवों के लोग शामिल होते हैं मगर सिर्फ 7 लड़कियों का ही चयन इस प्रथा के लिए होता है। जिस भी परिवार की लड़की इस प्रथा में शामिल होती है वो परिवार खुद को बेहद भाग्यशाली मानता है। इसके बाद चुनी गयी लड़कियों को 15 दिनों तक बिना वस्त्र के मंदिर के पुजारी के साथ ही रहना होता है। पुजारी इन लड़कियों को देवी मानकर ही इनकी देखभाल करता है। इस प्रथा के अंतर्गत सिर्फ 10 से 14 साल की ही लड़कियां शामिल हो सकती हैं। इस प्रथा के शुरूआती दौर में 6 साल तक की उम्र की लड़कियां ही शामिल होती थी मगर मंदिर के पुजारियों ने खुद बड़ी उम्र की लड़कियों को शामिल करने की मांग की थी।
कोर्ट ने लगाई है कड़ी फटकार
मदुरै स्थित इस मंदिर की अनोखी मान्यता ने जहां पूरे देश को हैरत में डाल दिया है तो दूसरी तरफ कोर्ट ने भी इस प्रथा पर संज्ञान लेते हुए आदेश दिया है कि ”अब से इस प्रथा के तहत लड़कियों को कपड़े पहनाना अनिवार्य है। आप चाहें तो कपड़ों के ऊपर से उन्हें जेवर और फूल मालाएं पहना सकते हैं। कोर्ट का कहना है कि नाजुक उम्र में लड़कियों के साथ किया जा रहा ये घिनौना कृत्य उनके भविष्य को अन्धकार में डाल सकता है।