कोलकाता, 8 जून 2021
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद राज्य की बीजेपी इकाई में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में एक बार फिर से बगावती सुर सुनाई देने शुरू हो गए है। भारतीय जनता पार्टी की बंगाल इकाई ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय संगठनात्मक बैठक बुलाई, जिसमें पार्टी नेताओं को शारीरिक रूप से उपस्थित होना आवश्यक था। लेकिन इस मीटिंग में मुकुल रॉय, शमिक भट्टाचार्य और राजीव बनर्जी जैसे दिग्गजों की अनुपस्थिति रहे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस मामले पर कहा कि महत्वपूर्ण बैठक में वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति चिंता का विषय नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय बैठक में नहीं आ सके क्योंकि उनकी पत्नी की तबीयत खराब है। प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य के पिता का निधन हो गया है। तृणमूल कांग्रेस के मंत्री से भाजपा नेता बने राजीव बनर्जी निजी कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सके।
बंगाल में इन दिनों कई नेता तृणमूल कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने पर खेद व्यक्त कर रहे हैं। ऐसे समय में बीजेपी के इन प्रभावशाली नेताओं के बैठक में शामिल नहीं होने से अटकलबाजी का दौर शुरू हो गया है। पिछले सप्ताह के अंत में मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु रॉय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनकी “जरूरत की घड़ी” में उनके परिवार तक पहुंचने के लिए धन्यवाद देने के लिए फेसबुक का सहारा लिया था।
रॉय 2017 में पार्टी छोड़ने से पहले टीएमसी के संस्थापक सदस्य थे। राजीव बनर्जी ने इस साल जनवरी में टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए थे और भगवा पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। इससे पहले टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने हाल ही में संकेत दिया था कि कुछ भाजपा नेता उनकी पार्टी में शामिल होने की संभावना तलाशने के लिए संपर्क में थे। भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने हालांकि ममता बनर्जी के भतीजे की टिप्पणी को ‘बचकाना बयान’ करार दिया था।
वहीं दूसरी ओर बीजेपी नेता राजीव बनर्जी ने ट्विटर पर कहा कि चुनाव के बाद की हिंसा की घटनाओं के जवाब में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करना लोगों के जनादेश के खिलाफ होगा। भाजपा नेता ने ट्वीट किया, “आलोचना के साथ पर्याप्त। जनता ने बहुमत से सरकार चुनी, मुख्यमंत्री का विरोध करने के लिए धारा 365 की धमकी को लगातार खतरे में डाला जाए तो वे इसे अच्छी तरह से नहीं लेंगे।