टिहरी, 27 अगस्त 2021
उत्तराखंड पर्यटन ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के पर्यटन मानचित्र पर टिहरी की खूबसूरत और प्रसिद्ध झील को पहचान दिलाने के लिए सरकार ने यहां सी प्लेन उतारने की योजना बनाई थी. इस योजना के लिए 2019 में सर्वे भी हुआ लेकिन अभी तक यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई है और बस फाइलों तक ही सिमटी हुई है. वास्तव में इस योजना से न केवल पर्यटन को पहचान बल्कि स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलने की भी उम्मीद जताई जा चुकी है. यह पूरी योजना क्या है, इसकी रफ्तार धीमी क्यों है और कबसे यह कवायद चल रही है, तमाम पहुलओं पर खास रिपोर्ट.
टूरिज़्म हब बन रही है झील
टिहरी डैम की 42 वर्ग किलोमीटर में फैली झील में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और अब तो यह झील वॉटर एडवेंचर स्पोर्ट्स का हब बन रही है. दूरदराज़ से पर्यटक टिहरी झील में लहरों का रोमांच उठाने आने लगे हैं. सरकार द्वारा यहां नए नए एक्सपेरिमेंट्स किए जा रहे हैं और उन्हीं में से एक है सी प्लेन उतारने की योजना. करीब चार सालों से टिहरी झील में सी प्लेन उतारने के लिए कवायद चल रही है लेकिन अब तक यह योजना कागज़ों में कितनी बढ़ी है?
क्यों अटका हुआ है मामला?
डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि टिहरी झील में पुराने टिहरी शहर की कई इमारतें और पहाड़ियां हैं, जो वॉटर लेवल कम होने पर उभरकर दिखाई देने लगती हैं. सी प्लेन के रन वे में एक बहुत बड़ी अड़चन इसे माना जा रहा है, जिसके लिए हाइड्रोलिक सर्वे भी करवाया जा चुका है. श्रीवास्तव ने कहा हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन पता चला है कि भूमि चयन को लेकर कार्रवाई पूरी हो चुकी है. यानी मामला यह है कि सर्वे रिपोर्ट कहीं फाइलों में धूल फांक रही है.
क्या हैं लोगों की शिकायतें?
एक बोट व्यवसायी कुलदीप पंवार ने कहा कि टिहरी झील का वॉटर लेवल कम होने पर उभरने वाली इमारतों और पहाड़ियों के बीच बोटिंग करना बड़ा जोखिम होता है इसलिए हाइड्रोलिक सर्वे दोबारा करवाया जाना चाहिए. हालांकि पंवार ने कहा कि बोटिंग गतिविधियों का संचालन करने वाले विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण यानी टाडा द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. वहीं, स्थानीय बोट व्यवसायियों का मानना है कि झील में सी प्लेन उतरने से पर्यटन ही नहीं, रोज़गार को भी बढ़ावा मिलेगा.