उत्तराखंड, 18 मार्च 2021
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। जल्द ही सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा कि वे अभिभावकों की एसोसिएशन और स्कूलों की एसोसिएशन को बुलाएं और सबकी सहमती से एक रिपोर्ट तैयार करें। सभी की राय को ध्यान में रखते हुए फीस एक्ट बनाया जाएगा। सरकार जल्द ही इसे लागू करेगी।
हाईकोर्ट ने स्कूल फीस के मामले में 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के दिए निर्देश
छठी से आठवीं और नौवीं-11वीं के विद्यार्थियों से फीस वसूली के मामले में कोई स्पष्ट दिशानिर्देश न होने पर हाईकोर्ट ने सरकार को 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 15 जनवरी को सरकार ने शासनादेश जारी कर 10वीं और 12वीं की कक्षाओं को खोलने का आदेश देते हुए कहा था कि विद्यालय प्रबंधन इन विद्यार्थियों से फीस ले सकते हैं लेकिन चार फरवरी को सरकार ने फिर एक जीओ जारी कर कक्षा छठी, आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं की कक्षाएं खोलने का आदेश दिया, पर इस शासनादेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि इन कक्षाओं के छात्रों से फीस ले सकते हैं या नहीं।
इस पर कोर्ट ने सरकार को स्कूल फीस को लेकर 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। स्कूल प्रबंधन की ओर से कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर कहा गया कि अब लॉकडाउन की स्थिति सामान्य हो चुकी है। स्कूलों में छात्र आने लगे हैं और पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। इसलिए अब उनको फीस लेने दी जाए।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। ऊधमसिंह नगर एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को एक आदेश जारी कर कहा था कि लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटेंगे और उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नही लेंगे जिसे प्राइवेट स्कूलों ने स्वीकार भी किया लेकिन एक सितंबर 2020 को सीबीएसई ने सभी प्राइवेट स्कूलों को एक नोटिस जारी कर बोर्ड से संचालित सभी स्कूलों को 10 हजार रुपये स्पोर्ट्स फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस और 300 रुपये प्रत्येक बच्चे के पंजीकरण की राशि बोर्ड को चार नवंबर से पहले देने के लिए कहा था।
यह भी कहा कि चार नवंबर तक धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो 2000 हजार रुपये प्रत्येक बच्चे के हिसाब से पेनाल्टी देनी होगी। इसको एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एसोसिएशन का कहना था कि न तो वे किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकते हैं और ना उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीबीएसई द्वारा फीस वसूली के लिए दबाव डाला जा रहा है जिस पर रोक लगाई जाए क्योंकि इस समय न तो टीचर्स की ट्रेनिंग हो रही है और ना ही खेल गतिविधियां हो रही हैं। सीबीएसई से संचालित स्कूल तो बोर्ड और राज्य के बीच में फंसकर रह गए हैं। अगर वे बच्चों से फीस लेते हैं तो उनके स्कूलों का रजिस्ट्रेशन रद्द होने का खतरा है।