वाराणसी, 13 सितम्बर 2021
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के आत्मनिर्भर भारत का सपना अब साकार हो रहा है. लघु उद्योगों के जिन क्षेत्रों में कभी पुरुषों का वर्चस्व था सरकार के प्रयासों से उन क्षेत्रों में महिलाएं अब उन्हें टक्कर दे रही है. मुगलकाल के दौरान बनारस (Banaras) आई गुलाबी मीनाकारी (Gulabi Minakari) की शिल्पकारी अब बनारस के महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है. हस्तशिल्प की इस कलाकारी से महिलाएं अब विदेशों के लाखों के ऑर्डर को पूरा कर अच्छी कमाई कर रही हैं.
दरअसल सूबे की योगी सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गृहस्थ महिलाओं को लधु उद्योग से जोड़ने के लिए हस्तशिल्प कला की कारीगरी सीखा रही है. बनारस के गुलाबी मीनाकारी को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार ने गाय घाट इलाके के दर्जन भर महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दी. अब ये महिलाएं इस काम को कर बनारस के हस्तशिल्प को विदेशों में भी नई पहचान दे रही हैं.
28 लाख का ऑर्डर किया पूरा
गुलाबी मीनाकारी का काम करने वाले नेशनल अवार्डी कुंज बिहारी ने बताया कि कोरोना के दूसरी लहर से अब तक महिलाओं ने 28 लाख से अधिक के ऑर्डर का काम पूरा किया है. विदेशों में इसके सप्लाई के बाद और भी डिमांड आ रही हैं. गुलाबी मीनाकारी का काम करने वाली का शालिनी यादव ने बताया कि सरकार की ट्रेनिंग कैंप के बाद हमलोग भी गुलाबी मीनाकारी का काम कर अपने परिवार का खर्च चला रहे है. रौशनी कुमारी कहती है कि इसी काम के कारण उन्हें समाज में अलग और नई पहचान भी मिली है,इसके अलावा उन्हें पीएम से मिलने का मौका भी मिला.
जानिए क्या है गुलाबी मीनाकारी
सोने-चांदी के सामानों पर बारीक से मनमोहक रंग और डिजाइन ही गुलाबी मीनाकारी की पहचान है. मुगलकाल के दौरान यह कला काशी आई और फिर यहां के कलाकारों ने इसमें हुनर का रंग भरा. वाराणसी के पक्के महाल और गायघाट की गलियों में बीते लंबे समय से लोग इस काम को कर रहे हैं. गुलाबी मीनाकारी का काम सोने-चांदी के आभूषणों के अलावा सजावटी सामानों पर किया जाता है. पहले इस काम को सोने और चांदी पर किया जाता था अब ये काम तांबे पर भी हो रहा है.