लखनऊ: उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाऊडस्पीकर अब हटा दिए जाएंगे. उन धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटेंगे, जिन्होंने प्रशासन से इजाजत नहीं ली है. योगी सरकार ने ऐसे धार्मिक स्थलों की पहचान का काम शुरू कर दिया है. हालांकि इस पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है.
दरअसल बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिना इजाजत लाऊडस्पीकर बजाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने राज्य सरकार से वैसी जगहों की पहचान करने को कहा है, जहां बिना इजाजत लाउडस्पीकर बजते हैं. इस आदेश के बाद योगी सरकार ऐसे धार्मिक स्थलों की पहचान कर उन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर चुकी है.
यूपी के प्रमुख गृह सचिव ने सभी जिलों के डीएम को चिट्ठी लिखकर ऐसे लाऊडस्पीकरों का पता लगाने को कहा है. 10 जनवरी तक ऐसे धार्मिक स्थलों की पहचान करना जरूरी है. 15 जनवरी तक धार्मिक स्थलों को लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत प्रशासन से लेनी होगी. मतलब ये कि 15 जनवरी के बाद से किसी धार्मिक स्थल पर बिना इजाजत लाउडस्पीकर नहीं बजेंगे.
फैसले को लेकर अलग-अलग है धर्म गुरुओं की राय
इस फैसले को लेकर अलग-अलग धर्मों के लोगों की राय अलग है. शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने कहा है कि पहले मस्जिद में लगे हुए लाऊडस्पीकरों को हटाइ बाद में मंदिरों से बंद कराइए.’’ हाईकोर्ट का आदेश ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए है लेकिन ऐसे बयान इसे विवाद की शक्ल दे रहे हैं.
वहीं, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कहा है भारतीय जनता पार्टी को अपनी निगेटिव अप्रोच से हट जाना चाहिए. वह पॉजिटिव अप्रोच रखें. जहां लगे हुए हैं उनकी परमिशन जारी कर दें और जो आइंदा लगाएं वो परमिशन से लगाएं.’’
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सूफियां ने कहा है, ‘’सरकार का पिछले दो तीन महीनों से मुसलमानों को लेकर जो रवैया रहा है, मुझे उम्मीद नहीं है कि सरकार इस पर निष्पक्ष होकर कार्रवाई कराएगी.’’
पहले भी हो चुकी है यूपी में लाउडस्पीकर को लेकर राजनीति
यूपी में लाउडस्पीकर को लेकर राजनीति पहले भी हो चुकी है. खुद सीएम योगी लाउडस्पीकर पर रोक लगाने को लेकर बड़ा बयान दे चुके हैं. अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर लाउडस्पीकर पर राजनीति शुरू होती दिख रही है. हालांकि हाईकोर्ट ने बारात और जुलूस जैसे आयोजनों में भी हो रहे ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी कार्रवाई करने को कहा है.