रांची, राजनीतिक कैदियों को आमतौर पर जेल में कुछ सुविधाएं दी जाती हैं, शायद जेल प्रशासन की यह उदारता चारा घोटाले के मामले में दोषी लालू प्रसाद यादव के साथ नहीं देखने को मिल रही। रांची जेल में बंद लालू प्रसाद यादव को एक साधारण कैदी की तरह रहना पड़ रहा है। इसकी शिकायत खुद लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई के स्पेशल जज से की है। बता दें कि इससे पहले बुधवार को ही लालू के दो ‘सेवादारों’ को भी जेल से रिहा कर दिया गया था, जो झूठे मामले के तहत जेल में थे।
बुधवार को लालू स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दुमका खजाना मामले में सुनवाई के लिए पेश हुए। इस दौरान उनके चेहरे पर साढ़े तीन साल की सजा होने के बाद भी किसी तरह की शिकन नहीं दिखाई दी। इसके उलट वह सुनवाई से पहले जज शिवपाल सिंह के साथ हल्की फुल्की बातचीत करते दिखे। जज शिवपाल सिंह ने ही लालू को 89.27 लाख रुपये के चारा घोटाले में 6 जनवरी को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई थी और साथ ही उन पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया था।
कोर्टरूम में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का भी कहना था कि दोनों की बातचीत के दौरान सभी के चेहरे में मुस्कान थी। जब जज शिवपाल ने लालू से उन्हें जेल में होने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा तो लालू ने अपने अंदाज में शिकायत की कि जेल प्रशासन उन्हें पार्टी कार्यकर्ता और अन्य लोगों से मिलने की इजाजत नहीं देते। इस पर जज ने कहा कि आंगतुकों को जेल के नियमों का पालन करने पर ही आपसे मिलने दिया जाएगा, इसलिए मैंने आपके लिए खुली जेल की सिफारिश की थी।
लालू ने इस पर तुरंत जवाब दिया, ‘अगर कार्यकर्ताओं को खुली जेल में रोका जाएगा तो वहां नरसंहार हो सकता है। झारखंड के सभी 20 हजार पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में तैनात होना पड़ेगा।’ इस पर सिंह ने कहा कि आप चिंता न करें ऐसा कुछ नहीं होगा।
लालू ने जज से साधारण कैदी की तरह बिहेव किए जाने पर भी शिकायत की जिस पर जज ने जवाब दिया कि नियम सभी के लिए एक है। लालू यहीं नहीं रुके उन्होंने जज से दुमका खजाना मामले में जल्द से जल्द अपना फैसला सुनाने की गुजारिश करते हुए कहा, ”सर, मुझे प्लीज ढाई साल की सजा इस मामले में दीजिएगा’ जिस पर जज ने सख्ती से कहा कि आप इस तरह न बोलें। इस तरह की बातें यहां नहीं होनी चाहिए।