मां दुर्गा को नवरात्र अतिप्रिय है। यह नौ दिन माता रानी की साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माने जाते हैं। इन पवित्र दिनों में साधक विभिन्न तंत्र विद्याओं के ज्ञान प्राप्ति हेतु मां दुर्गा की विशेष आराधना करते हैं। आषाढ़ और माघ मास की शुक्ल पक्ष में आने वाले गुप्त नवरात्र तंत्र विद्या के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस बार यह गुप्त नवरात्रि 5 जुलाई से आरंभ होकर 14 जुलाई को समाप्त हो रही है। इस दौरान साधक किसी गुप्त स्थान पर जाकर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं एवं इस दौरान बगुलामुखी माता की विशेष आराधना की जाती है। इस गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक अपनी कठिन साधना से मां दुर्गा को प्रसन्न कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते हैं।
गुप्त नवरात्रि के आरंभ में घर अथवा मंदिरों में देवी मां की घट स्थापना की जाती है। प्रतिवर्ष मां दुर्गा के चार नवरात्र आते हैं, जिसमें से दो नवरात्र बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं तो दो गुप्त नवरात्रि होते हैं।
गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां-
गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना की प्राप्ति हेतु मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
पूजन विधि-
गुप्त नवरात्र में भी अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा की जाती है। प्रथम नवरात्र को नौ दिनों के उपवास का संकल्प लें और घट स्थापना करें। घट स्थापना के पश्चात् प्रत्येक दिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन के साथ अपने नवरात्र व्रत का उद्यापन करें।
घट स्थापना का मुहूर्त-
लाभ – सुबह – 10.49 बजे से 12.31 बजे तक
अमृत – दोपहर- 12.31 बजे से 2.13 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12.02 बजे से 12.58 बजे तक