आज देश में तीन तलाक का मुद्दा चर्चा का विषय बन चुका है और इन दिनों तीन तलाक पर खूब चर्चा हो रही है। कुछ लोग तीन तलाक के पक्ष में हैं तो कुछ इसके विरोध में हैं।
एक अखबार में छपी खबर के अनुसार, तीन तलाक के बारे में पैंगबर मोहम्मद ने कुछ कहा ही नहीं था। अपनी सहूलियत के लिए पुरुषों ने इसे बाद में इजाद किया।
तलाक शब्द का अर्थ
तलाक की अरबी भाषा से लिया गया है जहां इस शब्द का अर्थ होता है, ‘किसी बंधन से मुक्त होना।’ इसे शब्द ‘तलाका’ से लिया गया, जिसका शाब्दिक अर्थ मुक्त होना होता है। एक महिला के संदर्भ में इसका अर्थ है कि उसका पति उसे शादी के बंधन से मुक्त कर रहा है। मतलब रिश्ता खत्म होना।
इस्लाम में तलाक
इस्लाम कानून के तहत दो तरह के तलाक होते हैं-
(1) तलाक अल सुन्ना (जिसे पैंगबर मोहम्मद के हुक्म के अनुसार किया जाता है)
(2) तलाक अल-बिदत (जिसे बाद में पैगंबर मोहम्मद के कठिन हुक्मों के कारण हो रही दिक्कतों से बचने के लिए आरंभ किया गया)
अखबार के अनुसार, ‘तलाक को बाद में इसे दो तरीकों में विभाजित कर दिया गया। पहला, जिसमें तीन बार तलाक कहकर तलाक लिया जाता है और दूसरा जिसमें लिखित तौर पर तलाक दिया जाता है।
इस्लामिक लॉ ऑफ डाइवोर्स को समझाते हुए,’इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट में रिसर्च एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर फुरकान अहमद लिखते हैं, ‘तलाक अल बिदत दसूरी शताब्दी में आरंभ हुआ, जब ओमयाद शासकों को लगा कि तलाके के नयम बहुत कठिन हैं और इस कठनाई से बचने के लिए उन्होंने ये तरीका खोजा। इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि तीन तलाक इस्लाम के अनुसार नहीं है बल्कि इसे ओमयाद ने आरंभ किया और तलाक देने के लिए जायज तरीका भी ठहराया।’
कई देशों में है बैन
पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की, मिस्र में तलाक देने का ये तरीका वैध नहीं है। ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, श्री लंका में भी ये अमान्य है।