हरियाणा और पंजाब सरकार को हिंसा होने की आशंका की सूचना पहले से ही थी, इसके बावजूद उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया था। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रेप केस में दोषी करार दिया गया है। गुरमीत राम रहीम को दोषी करार देते ही उनके समर्थक बेकाबू हो गए थे। समर्थक तोड़फोड़ और आगजनी करने लगे थे। पुलिस और डेरा समर्थकों के बीच हुई हिंसा में कई लोगों की मौत भी हो गई थी। समर्थकों ने मीडिया पर भी हमला बोल दिया था। हालांकि इस बारे में हरियाणा सरकार को पहले से ही आगाह कर दिया गया था। यही नहीं आईजीपी लॉ ऐंड ऑर्डर की तरफ से पंजाब पुलिस को लिखे गए खत में साफ-साफ कहा गया है कि हिंसा हो सकती है और उसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की बात भी लेटर में कही गई है। तीन दिन पहले लिखे इस खत में आइजीपी ने सुरक्षा कड़ी करने पर जोर देने को कहा था।
चंडीगढ़ के आईजीपी लॉ एंड ऑर्डर-1 गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने खत में आगाह किया था कि फरीदकोट में नाम चर्चा घरों में पेट्रोल और डीजल जमा किए जा रहे हैं। यही नहीं डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों ने घरों की छतों पर नुकीलें हथियार और पत्थरों को जमा करना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में राम रहीम के विरुद्ध फैसला आने पर समर्थक इनका इस्तेमाल सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने में कर सकते हैं।
यही नहीं खत में आइजीपी ने और ज्यादा पुलिस प्रशासन की व्यवस्था को मजबूत करने की बात भी कही थी। आईजीपी ने सुरक्षा के लिए और ज्यादा कदम उठाने पर भी जोर दिया था। यही नहीं आईजीपी ने शांति बनाए रखने के लिए समर्थकों को हिरासत में लेने की बात तक को भी कहा था।
हालांकि इसके बावजूद हरियाणा और पंजाब सरकार और वहां के पुलिस प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार का ठोस कदम नहीं उठाया गया। यही वजह है कि कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। राज्य में अशांति फैल गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब सारी जानकारी थी, तो हरियाणा और पंजाब सरकार ने राज्य को क्यों जलने दिया, क्यों माहौल को बिगड़ने से नहीं रोका गया?