नई दिल्ली : उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और गैर-शैक्षणिक स्टाफ की भर्ती के लिए यूजीसी न्यूनतम योग्यता से जुड़े नए नियम बना रहा है। इसी नियम में यह प्रावधान किया गया है। यूजीसी के मसौदे में शामिल नियमों के मुताबिक कला, वाणिज्य, मानविकीय, शिक्षा, विधि, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, भाषा, पुस्तकालय विज्ञान, पत्रकारिता एवं जनसंचार संकाय में सहायक प्राध्यापक की सीधी भर्ती में यह नियम लागू होगा कि यदि आपने दुनिया के शीर्ष-500 सूची में रहे किसी उच्च शिक्षा संस्थान से पीएचडी की है तो आपको सहायक प्राध्यापक बनने के लिए यूजीसी या सीएसआईआर की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दुनिया के प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों की रैंकिंग जैसे एजुकेशनल रैंकिंग और एकेडमिक रैंकिंग ऑफ वर्ल्ड यूनिवर्सिटीज में कभी भी शीर्ष 500 में स्थान पाने वाले किसी भी संस्थान से पीएचडी करने वाले छात्र-छात्राओं को यह लाभ मिलेगा। अपनी पीएचडी के आधार पर ही आप सहायक प्राध्यापक पद के योग्य हो जाएंगे।
क्या है मौजूदा नियम
वर्तमान नियमों के मुताबिक किसी भी संस्थान से पीएचडी करने वाले छात्र-छात्रा को भारतीय विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में बतौर शिक्षक पढ़ाने के लिए यूजीसी या सीएसआईआर की पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। यूजीसी इन मसौदा नियमों पर संबंधित पक्षों से चर्चा करेगा। यदि इसमें कोई बड़े बदलाव नहीं हुए तो नए अकादमिक सत्र से पहले इसे लागू कर दिया जाएगा।
भारत के सिर्फ दो संस्थान
टॉप 500 संस्थानों में वर्ष 2018 की रैंकिंग में सिर्फ भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरू और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई को ही स्थान दिया गया है। इस रैंकिंग में पिछले साल आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर और आईआईटी मद्रास भी शीर्ष 500 में शामिल थे।
क्यूएस रैंकिंग
वर्ष 2018 की क्यूएस रैंकिंग में शीर्ष-500 संस्थानों में भारत के 8 उच्च शिक्षा संस्थानों को जगह दी गई है। इसमें आईआईएससी-बेंगलुरू, आईआईटी-मुंबई, आईआईटी-दिल्ली, आईआईटी-कानपुर, आईआईटी-मद्रास, आईआईटी-खडग़पुर, आईआईटी-रूड़की और दिल्ली-विश्वविद्यालय शामिल है। पिछले साल आईआईटी-गुवाहाटी भी इसमें शामिल था।