नई दिल्ली: आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित 7 पन्नों के पत्र में जजों ने कुछ मामलों के असाइनमेंट को लेकर नाराजगी जताई है. बता दें कि जजों का आरोप है कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखी गई चिट्ठी के मुख्य अंश…
- चीफ जस्टिस उस परंपरा से बाहर जा रहे हैं, जिसके तहत महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय सामूहिक तौर पर लिए जाते रहे हैं.
- चीफ जस्टिस केसों के बंटवारे में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.
- वे महत्वपूर्ण मामले, जो सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को प्रभावित करते हैं, चीफ जस्टिस उन्हें बिना किसी वाजिब कारण के उन बेंचों को सौंप देते हैं, जो चीफ जस्टिस की प्रेफेरेंस (पसंद) की हैं.
- इससे संस्थान की छवि बिगड़ी है.
- हम ज़्यादा केसों का हवाला नहीं दे रहे हैं.
- सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उतराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश भेजी है.
- जस्टिस केएम जोसफ ने ही हाईकोर्ट में रहते हुए 21 अप्रैल, 2016 को उतराखंड में हरीश रावत की सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को रद्द किया था, जबकि इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में सीधे जज बनने वाली पहली महिला जज होंगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल जस्टिस आर भानुमति के बाद वह दूसरी महिला जज होंगी.
- सुप्रीम कोर्ट में तय 31 पदों में से फिलहाल 25 जज हैं, यानी जजों के 6 पद खाली हैं.