क्या आप जानते हैं कि वज़न कम करने की प्रक्रिया में आप जो सप्लिमेंट्स लेते हैं उनसे कैंसर के होने की संभावना बढ़ सकती है। इसमें मौजूद क्रोमियम कैंसर की बीमारी को पैदा कर सकता है। ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी है।
इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप-2 डायबिटीज़ जैसे मैटाबॉलिक डिसॉर्डर वाले रोगी जिस तरह के पोषक तत्वों की खुराक लेते हैं, उनमें ट्रेस मेटल क्रोमियम (3rd) का इस्तेमाल किया जाता है। यह कार्सिनोजेनिक का प्रकार, हेक्सावालेंट क्रोमियम (5th) है, जोकि कई बड़ी बीमारी जैसे कैंसर से जुड़ा है।
सिडनी के न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने क्रोमियम से पशु के फैट सेल्स का इलाज किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि यह क्रोमियम आंशिक रूप से कैंसर की समस्या पैदा कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने शिकागो के आर्गोने नैशनल रिसर्च लैब के एडवांस्ड फोटोन सोर्स के उच्च ऊर्जा वाली एक्स-रे किरण का इस्तेमाल किया। जिसमे कोशिकाओं में प्रत्येक रासायनिक तत्व का एक नक्शा तैयार किया। कोशिकाओं में क्रोमियम (4th) और क्रोमियम (6th) के कार्सिनोजेनिक नेचर को स्पष्ट रूप से जानने के लिए कई प्रयोग किए गए है। इस शोध के परिणामों को रसायन विज्ञान जरनल एंगेवांडथे केमेई में प्रकाशित किया गया है, जिसमें मोटापा कम करने के लिए लंबी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है।
यूएनएसडब्ल्यू शोधकर्ता डॉ. लिंडसे वु ने कहा, “हम यह दिखा पाने में सक्षम हो पाए हैं कि कोशिका के अंदर क्रोमियम का ऑक्सिडेशन होता है। यह अणुओं को छोड़ते हुए कार्सिनोजेनिक फोर्मेट में परिवर्तित हो जाते हैं।”
उन्होंने कहा, “क्रोमियम का ऑक्सििडेशन पहली बार किसी जैविक नमूने में देखा गया है। ऐसा ही परिणाम मानव कोशिकाओं में भी पाए जाने की उम्मीद है।”
इसकी वज़ह से लोगों में कैंसर जैसी बीमारी विकसित हो सकती है।