मंगलवार सुबह असम के तेजपुर से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद चीन सीमा के पास से लापता हुए भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 का मलबा मिला है। यह मलबा उसी जगह के पास ही मिला है, जहां से विमान का संपर्क टूटा था। इस विमान पर दो पायलट सवार थे, जो नियमित ट्रेनिंग उड़ान पर थे और तेजपुर से 60 किलोमीटर उत्तर में रडार से इसका संपर्क टूट गया।
ये सुखोई विमान वायुसेना ने रूस से खरीदा गया था। दो-इंजन वाले सुखोई-30 एयरक्राफ्ट का निर्माण रूसी की कंपनी सुखोई एविएशन कॉरपोरेशन ने किया है। इसकी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों में से हैं। यह सभी मौसमों में उड़ान भर सकता है। हवा से हवा में, हवा से सतह पर मार करने में सक्षम है। करीब 358 करोड़ रुपए की लागत वाला यह विमान 4.5 जेनरेशन का विमान है और इस समय दुनिया के श्रेष्ठ लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल है। भारत की रक्षा जरूरतों के लिहाज से सुखोई विमान काफी अहम है।
बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सात साल में 7 सुखोई विमान हादसे का शिकार हो चुके हैं। खबरों के मुताबिक विमान भारत चीन सीमा के नजदीक अरुणाचल प्रदेश के डॉलसंग इलाके के पास रडार से गायब हो गया। विमान का पता चलाने के लिए रेस्क्यू टीम को रवाना कर दिया गया है, लेकिन अभी तक कुछ पता नही चल पाया है।
बता दें कि वायु सेना में करीब 240 सुखोई विमान हैं, जिसमें से अब तक आठ सुखोई हादसे के शिकार हो चुके है। हाल ही में राजस्थान के बाड़मेर में सुखोई-30MKI विमान क्रैश हो गया।