देहरादून, 30 अगस्त 2021
उत्तराखंड में हिंदी फिल्म ‘केदारनाथ’ पर आपत्ति जताने वाले और अंततः उसके राज्य में रिलीज को प्रतिबंधित करवाने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एक बार फिर मुखर हो गए हैं. इस बार उन्होंने पर्वतीय जिलों में विशेष समुदाय के धार्मिक स्थलों के बढ़ते निर्माण पर सवाल उठाए हैं.
इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र भी लिखा और बकायदा उनसे मुलाकात की भी है.
देवभूमि उत्तराखंड के धार्मिक महत्व को कायम रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से पर्वतीय क्षेत्र को “विशेष क्षेत्र अधिसूचित’ कर समुदाय विशेष के धर्म स्थलों के निर्माण पर प्रतिबंध और भूमि इत्यादि के क्रय-विक्रय के लिए विशेष प्रावधान किए जाने को लेकर भाजपा नेता और पूर्व दर्जाधारी अजेंद्र अजय के पत्र पर गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक से भी अपनी सुस्पष्ट राय शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. गृह विभाग की ओर से अनुसचिव ज्योतिर्मय त्रिपाठी ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में पत्र लिखा है.
क्या है पूरा मामला
उत्तराखंड में भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने एक बार फिर एक बड़े मुद्दे को गरमा दिया है. इस बार वो उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बढ़ते विशेष समुदाय के धार्मिक स्थलों पर चिंतित हैं. आपको बता दें कि इससे पूर्व वह केदारनाथ फिल्म को लेकर मुखर थे. उन्हीं की आपत्ति के बाद ‘केदारनाथ’ फिल्म को उत्तराखंड में बैन करना पड़ा था.
अब उन्होंने पहाड़ों में बढ़ते पलायन और वहां बढ़ती धर्म विशेष के लोगों की संख्या पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की है और बाकायदा उनको इस पर कार्रवाई करने का आग्रह किया.
ये है पूरा घटनाक्रम
भाजपा नेता अजेंद्र ने पिछले महीने जुलाई में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर इस विषय को उठाया था और उन्हें एक पत्र सौंपा था. पत्र में उन्होंने इसे लेकर एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग उठाई थी, जो इस संबंध में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर नए कानून के प्रारूप को तैयार कर सके. पत्र में उन्होंने आध्यात्मिक व सुरक्षा कारणों के चलते विषय पर ठोस निर्णय लेने का अनुरोध किया था. पत्र में कहा गया है कि देवभूमि उत्तराखंड आदिकाल से अध्यात्म की धारा को प्रवाहित करता आया है.
अजेंद्र अजय के मुताबिक हिंदू धर्म व संस्कृति की पोषक माने जाने वाली गंगा-यमुना के इस मायके में संत-महात्माओं के तप करने की अनगिनत गाथाएं भरी पड़ी हैं. यहां कदम-कदम पर मठ-मंदिर अवस्थित हैं, जिनका तमाम पौराणिक व धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है. इससे उनकी प्राचीनता, ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता व सांस्कृतिक महत्व का पता चलता है. इन अनगिनत देवालयों के अलावा यहां श्री बद्रीनाथ, श्री केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री जैसे विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी स्थित हैं, जो सदियों से हिंदू धर्मावलंबियों की आस्था के केंद्र रहे हैं.
विगत कुछ वर्षों में पर्वतीय क्षेत्रों से रोजगार एवं अन्य कारणों से वहा के मूल निवासियों द्वारा व्यापक पैमाने पर पलायन किया गया. इसके विपरीत मैदानी क्षेत्रों से एक समुदाय विशेष ने विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के माध्यम से वहां पर अपनी आबादी में भारी बढ़ोतरी की है.
यही नहीं कई बार मीडिया एवं अन्य माध्यमों से बांग्लादेशी और रोहिग्याओं द्वारा घुसपैठ किए जाने की चर्चा भी सुनाई देती है. अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े होने के कारण ऐसी परिस्थितियां देश की सुरक्षा की दृष्टि से आशंकित करने वाली हैं.
बिना पहचान और सत्यापन के रह रहे लोगों के कारण आज पर्वतीय क्षेत्रों में अपराधों में वृद्धि हुई है. इसके साथ ही “लव जिहाद” जैसी घटनाएं भी समय-समय पर सुनाई देने लगी हैं. सामरिक दृष्टि से उत्तराखंड का यह हिमालयी क्षेत्र बेहद संवेदनशील है. पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों की विशिष्ट भाषाई व सांस्कृतिक पहचान रही है. अत्यंत संवेदनशीन सीमा के निकट लगातार बदल रहा सामाजिक ताना-बाना आसन खतरे का कारण बन सकता है
पहले लव जिहाद और अब लैंड जेहाद
अजेंद्र अजय ने आजतक से टेलीफोनिक बातचीत पर बताया कि उन्होंने पहले भी फिल्म केदारनाथ को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया था जिसके बाद फिल्म को उत्तराखंड में बैन कर दिया गया था. उन्होंने हरीश रावत की सरकार में केदारनाथ में हुए कैलाश खेर के कार्यक्रम का भी विरोध किया था.
अब इस मामले को अजेंद्र अजय लव जिहाद के बाद लैंड जिहाद बता रहे हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से पर्वतीय जिले खाली हो रहे हैं और यहां के लोग पलायन कर रहे हैं. ऐसे में एक विशेष समुदाय के लोग यहां हर जगह अपना कब्जा कर रहे हैं. यही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है.