लखनऊ: विधानसभा में शुक्रवार को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना को लेकर 6 पुलिसकर्मियों पर सुनवाई होगी। 2004 के मामले में 17 साल पहले ही इन पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका है। जिसके बाद इनके खिलाफ सजा का ऐलान हो सकता है। आपको बता दें कि इससे पहले सन 1962 में यूपी विधानसभा में कटघरे में सुनवाई हुई थी।
पुलिस के लाठीचार्ज में टूटी थी सलिल विश्नोई की टांग
गौरतलब है कि 2004 में तत्कालीन सपा सरकार के दौरान बिजली कटौती के विरोध को लेकर वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना कानपुर में धरने पर बैठे हुए थे। उस दौरान बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। तत्कालीन विधानसभा सदस्य सलिल विश्नोई की उसके चलते टांग टूट गई थी। वह कई माह तक बेड पर भी रहे थे। इसको लेकर विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र के दौरान भी रखी गई थी। इस मामले में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ 2004 से मई 2005 तक सुनवाई भी हुई।
दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हो सकता है सजा का ऐलान
सुनवाई के बाद सभी पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया हालांकि 2005 में सजा को लेकर कोई ऐलान नहीं हो सका। जिसके बाद अब शुक्रवार को 11वें दिन की कार्यवाही में दोपहर तकरीबन साढ़े बारह बजे के बाद इन सभी पुलिसकर्मियों को कटघरे में खड़ा कर सजा का ऐलान किया जा सकता है। दोषी पुलिसकर्मियों को पेश करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह को निर्देश भी दिया है। विशेषाधिकार हनन के तहत इन छह पुलिसकर्मियों के विधानसभा के सामने प्रस्तुत होने के बाद दंड को लेकर चर्चा की जाएगी। सदन में इन सभी की मौजूदगी को लेकर जिम्मेदारी डीजीपी की होगी और विधानसभा में इन्हें पेश करने का जिम्मा मार्शल को दिया गया है। जिन पुलिसकर्मियों की पेशी होने है उनमें सीओ अब्दुल समद, किदवई नगर थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई थाना कोतवाली त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्रा और सिपाही मेहरबान सिंह का नाम शामिल है।