टोक्यो ओलंपिक से पहले से ही उन्हें चोट लगी थी, जो ओलंपिक के दौरान और बढ़ गई थी. इसके बावजूद अंशु मलिक ने दो महीने की कड़ी ट्रेनिंग कर विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का फ़ैसला किया और इतिहास रचा.
वे ओस्लो (नॉर्वे) में आयोजित हुए विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप के फ़ाइनल में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं और रजत पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं.
इसके साथ-साथ वे फ़ाइनल में पहुँचने वाली तीसरी भारतीय पहलवान हैं. उनसे पहले यह कारनामा केवल दो पहलवान सुशील कुमार (पुरुष वर्ग) और बजरंग पुनिया (पुरुष वर्ग) ने कर दिखाया था
चोट के साथ ही मैट पर उतरीं अंशु
सेमीफ़ाइनल में उनका मुक़ाबला जूनियर यूरोपियन चैंपियन सोलोमिया विंक से था, जिनको अंशु मलिक ने तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर 11-0 से हराया और फ़ाइनल में अपनी जगह बनाई.
सेमीफ़ाइनल को जीतने के बाद अंशु मलिक ने ख़ुद बताया था कि चोट के साथ ट्रेनिंग करना बहुत दर्द देता था, लेकिन पदक की भूख ने उन्हें डटे रहने का हौसला दिया.
फ़ाइनल में अंशु का मुक़ाबला अमेरिका की हेलन मारोलिस से था, जो 2016 के रियो ओलंपिक की चैंपियन रही थीं. यही नहीं टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक भी हासिल किया था.
अंशु शुरुआत में 1-0 से आगे थी, लेकिन बाद में हेलन उन पर पूरी तरह हावी हो गईं.
हेलन के अनुभव के आगे अंशु को रजत पदक से संतोष करना पड़ा, हालाँकि फ़ाइनल में पहुँचकर उन्होंने इतिहास तो रच ही दिया.
अंशु मलिक जापान की कुश्ती की खिलाड़ी काओरी इचो के खेल से बेहद प्रभावित हैं और उनके वीडियो देखती हैं.
कैसे की विश्व चैंपियनशिप की तैयारी?
पहली बार अंशु मलिक ने टोक्यो ओलंपिक के दौरान सुर्ख़ियाँ बटोरी, जब वे सोनम मलिक के साथ ओलंपिक क्वालिफ़ाई करने वाली सबसे युवा पहलवानों में से एक बनी थीं.
उस समय सोनम मलिक (62 किलोग्राम) केवल 18 साल की थीं और अंशु मलिक (57 किलोग्राम) 19 साल की थीं.
लेकिन ओलंपिक में सोनम और अंशु दोनों को ख़ाली हाथ लौटना पड़ा.
अंशु पदक न ला पाने के ग़म से उबरी भी नहीं थी कि सामने विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप के ट्रायल्स थे.
अंशु मलिक के पिता, धरमवीर मलिक ने बीबीसी को बताया, “अंशु ने चोट लगने के बावजूद विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का मन बनाया और तक़लीफ़ में भी ट्रेनिंग करना शुरू कर दिया.”
वह बताते हैं कि ओलंपिक के समय कोविड-19 जैसी परिस्थिति आने पर उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ से अंशु के साथ कैंप में रहने की अनुमति मांगी थी. वो कहते हैं कि वे हर बार यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अंशु के साथ हर कैंप में रहें.
वो कहते हैं, “मैं कोच के साथ-साथ अंशु के दांव को देखता रहता हूँ और उसकी डाइट (खान-पान) की पूरी ज़िम्मेदारी मैं लेने की कोशिश करता हूँ.”