नई दिल्ली, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए एक आतंकी हमले में करीब पांच जवानों की मौत हो गई है जबकि 10 जवान घायल हो गए हैं। आतंकियों ने ये हमला काबुल स्थित आर्मी अकादमी में किया था। आतंकियों का काबुल में पिछले सात दिनों में यह चौथा बड़ा हमला है। आतंकियों ने पिछले दिनों जिन तीन हमलों को विभिन्न जगहों पर अंजाम दिया उसमें सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई और करीब 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। हाल ही में हुए इन आतंकी हमलों ने अमेरिका और कहीं न कहीं भारत की भी तकलीफें बढ़ा दी हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पिछले दिनों जो आतंकी हमले हुए उनमें से एक का निशाना भारतीय दूतावास भी था। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि आतंकियों द्वारा छोड़ा गया रॉकेट लॉन्चर दूतावास से कुछ ही मीटर आगे गिरा था। बहरहाल इन हमलों को लेकर दोनों देशों की चिंता काफी वाजिब है।
पाक की बौखलाहट
भारत जहां अफगानिस्तान के साथ सहयोग को बढ़ा रहा है वहीं अमेरिका की बदली नीति में वह यहां पर पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत को ज्यादा तरजीह दे रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि ये हमले कहीं पाकिस्तान की बौखलाहट का ही तो नतीजा नहीं हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारत, अफगानिस्तान और अमेरिका के बीच जल्द ही वहां की रणनीति को लेकर खास चर्चा होने वाली है। इस बैठक की रजामंदी अक्टूबर, 2017 में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और सुषमा स्वराज के बीच हुई बातचीत में बनी थी। इस त्रिपक्षीय बैठक के बाद अफगानिस्तान मामले में पाकिस्तान के और ज्यादा हाशिये पर जाने के आसार है, लिहाजा पाकिस्तान की बेचैनी भी बढ़नी स्वाभाविक है।
आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना पाक
अमेरिका के पूर्व जनरल और सीआईए के प्रमुख रह चुके डेविड पेटरस भी मानते हैं कि बीते कुछ समय में पाकिस्तान से अमेरिका के संबंधों में तल्खी आई है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने माना है कि अफगानिस्तान में आतंकियों के लिए पाकिस्तान सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है जो चिंता का विषय है। उनका यह भी कहना है कि मौजूदा समय में आतंकियों पर काबू पाने में अफगानी सेना नाकाम साबित हो रही है। वहीं दूसरी तरह पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। इस दौरान डेविड ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों का समर्थन करना एक फैशन बना हुआ है। भारत से रिश्तों के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उनका कहना था कि दोनों देश आपसी हितों को देखते हुए क्या कर सकते हैं इसको लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है और आगे भी जारी है। अमेरिका की नई रक्षा नीति में भारत काफी अहम भूमिका रखता है।