मुस्लिम

मुस्लिम महिलाओं के भविष्य से जुड़े सबसे बड़े मुकदमे तीन तलाक पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पांच जजों की संविधान पीठ इस केस की सुनवाई करेगी। आज से इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में रोज सुनवाई होगी।

जेएस खेहर करेंगे बेंच की अध्यक्षता
इसकी अध्यक्षता खुद चीफ जस्टिस जे एस खेहर करेंगे। बेंच गर्मी की छुट्टी में विशेष रूप से इस सुनवाई के लिए बैठ रही है। इस बेंच में अलग-अलग धर्मों से जुड़े जजों को रखा गया है। सिख, ईसाई, पारसी, हिंदू और मुस्लिम जज इस संविधान पीठ का हिस्सा हैं।

मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ से कराने का फैसला लिया है।

तीन प्रावधानों पर होनी है सुनवाई
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक, मर्दों को तीन बार तलाक बोलकर शादी तोड़ने का अधिकार है। पर्सनल लॉ के तीन प्रावधानों तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक, निकाह हलाला और मर्दों को चार शादी की इजाज़त पर सुनवाई होनी है। इसमें से बड़ा मामला है तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक का है। .

तलाक के बाद अगर पति पत्नी को लगता है कि उनसे गलती हुई और वो दोबारा शादी करना चाहते हैं तो उसकी क्या व्यवस्था हो ?
अभी मुस्लिम महिलाएं ऐसी स्थिति में सीधे दोबारा निकाह नहीं कर सकतीं, उन्हें पहले किसी और मर्द से शादी करनी होती है। संबंध भी बनाने होते हैं, फिर नए पति से तलाक लेकर पहले पति से शादी की जा सकती है।

चार शादी की इजाज़त पर भी सुनवाई
मुस्लिम मर्दों को एक साथ चार पत्नियों को रखने की इजाज़त भी कोर्ट की समीक्षा के दायरे में है। हालांकि, कुरान में मर्दों को एक पत्नी के रहते दूसरी शादी की इजाज़त दी गई है, लेकिन इसके लिए कई शर्तें लगाई गई हैं। लेकिन इन शर्तों का पालन नहीं होता।