नई दिल्ली। देशभर के आम भारतीयों के मन में वैसे तो रावण की भूमिका एक खलनायक की तरह हैं, लेकिन पांच ऐसे स्थान है जंहा पर जहां लंकेश की विधिवत पूजा की जाती है। दशहरा पर बुराई के प्रतीक को जलाने की तैयारियों की धूम के बीच यह एक दिलचस्प तथ्य है।
उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा जिले के बिसरख गांव में भी रावण का मंदिर निर्माणाधीन है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि गाजियाबाद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव बिसरख में रावण का ननिहाल था। नोएडा के शासकीय गजट में रावण के पैतृक गांव बिसरख के साक्ष्य मौजूद नजर आते हैं। इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा था। अब इस गांव को बिसरख के नाम से जाना जाता है।
कथाओं के अनुसार रावण ने आंध्र प्रदेश के काकिनाड में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। वहां इसी शिवलिंग के निकट रावण की भी प्रतिमा स्थापित है। यहां शिव और रावण दोनों की पूजा मछुआरा समुदाय करता है। रावण को लंका का राजा माना जाता है और श्रीलंका में कहा जाता है कि राजा वलगम्बा ने इला घाटी में रावण के नाम पर गुफा मंदिर का निर्माण कराया था।
वहीं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ कस्बा है। बैजनाथ में बिनवा पुल के पास रावण का मंदिर है। मंदिर में शिवलिंग व उसी के पास एक बड़े पैर का निशान है। रावण ने एक पैर पर खड़े होकर इसी स्थान पर तपस्या की थी। शिव मंदिर के पूर्वी द्वार में खुदाई के दौरान एक हवन कुंड भी निकला था। इस कुंड के समक्ष रावण ने हवन कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। मान्यता है कि इस क्षेत्र में रावण का पुतला जलाया गया तो उसकी मौत निश्चित है। रावण ने बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था।
मध्यप्रदेश के विदिशा शहर में रावणग्राम दशानन की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। विदिशा के रावणग्राम में रावण का एक मंदिर है। यहां रावण की दस फुट लंबी प्रतिमा है। रावण एक कान्यकुब्ज ब्राम्हण था। गांव के लोग दशहरा नहीं मनाते हैं। यहां इस दिन रावण की पूजा की जाती है।
उत्तरप्रदेश के शहर कानपुर के शिवाला में रावण का एक मंदिर है। साल में एक बार ही इस दशानन मन्दिर के पट खुलते है। शहर के बीचो-बीच शिवाला स्थित कैलाश मंदिर में दशानन का सैकड़ो वर्ष पुराना मन्दिर है। जहां बाकी सभी राम की पूजा करते हैं वहीं इस मंदिर में दशहरे के दिन रावण की पूजा होती है।