पटना, चारा घोटाले में दोषी पाए गए राजद प्रमुख तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आज सजा सुनाई जानी थी, लेकिन न्यायालय के एक वकील बिंदेश्वरी प्रसाद के आकस्मिक निधन की वजह से आज सजा का एलान नहीं हो सका और अब लालू सहित 16 दोषियों को कल सजा सुनाई जाएगी।
लालू यादव सुबह दस बजकर पंद्रह मिनट पर होटवार के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत में पहुंचे और सजा टल जाने के बाद वे फिर से कोर्ट से जेल के लिए निकल गए हैं। कोर्ट के भीतर कंडोलेन्स और जज के बीच मामला के फंस जाने की वजह से फैसला आज टल गया ।
न्यूज एजेंसी एएनआइ से मिली जानकारी के मुताबिक चारा घोटाला मामले में आरोपित राजद सुप्रीमो लालू यादव सहित सोलह लोगों के खिलाफ सजा का एलान आज नहीं हो सका क्योंकि कोर्ट के वकील बिंदेश्वरी प्रसाद के आकस्मिक निधन की वजह से फैसला आज नहीं किया जा सका।
सीबीआइ कोर्ट के वकीलों ने बताया कि वकील के आकस्मिक निधन की वजह से हम सब शोकाकुल हैं जिसकी वजह से कंडोलेंस में वकीलों ने हिस्सा नहीं लिया और जिसकी वजह से कोर्ट ने सजा आज टाल दी है, कल एक-एक कर सभी आरोपितों को सजा सुनाई जाएगी, अब लालू यादव का नंबर कब आता है वो अल्फाबेटिकली निर्भर करता है।
लालू यादव के साथ राजद के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और भाजपा प्रवक्ता प्रतुल नाथ देव भी कोर्ट में मौजूद रहे।जेल से निकलते ही लालू की गाड़ी के पीछे-पीछे राजद कार्यकर्ता और समर्थक भी अपनी-अपनी गाड़ियों से कोर्ट तक पहुंचे । लालू के साथ ही इस मामले के आरोपी जगदीश शर्मा और डॉक्टर आरके राणा भी सीबीआइ की विशेष अदालत पहुंचे थे।
लालू की सजा के एलान को लेकर आज सुबह से ही पटना में राबड़ी आवास में गहमागहमी रही तो वहीं बिहार की राजनीति भी चरम पर रही। चारा घोटाले के सभी दोषी सुबह करीब 11 बजे अदालत में पेश हुए।
आपको बता दें कि लालू समेत 16 लोगों को 23 दिसंबर को रांची की सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख़, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में दोषी ठहराया था।
पुलिस ने उसी दिन सभी को हिरासत में लेकर रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया था। इस मामले में आज सजा सुनाई जानी थी। बता दें कि सीबीआई ने इस मामले में देवघर कोषागार से फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी करने का आरोप सभी पर लगाया था।
आपूर्तिकर्ताओं पर सामान की बिना आपूर्ति किए बिल देने और विभाग के अधिकारियों पर बिना जांच किए उसे पास करने का आरोप है। लालू प्रसाद पर गड़बड़ी की जानकारी होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाने का आरोप है।