भू वैज्ञानिकों का दावा है कि भारत और श्रीलंका के बीच बना हुआ रामसेतु प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव का बनाया हुआ है।अमेरिका के साइंस चैनल ने अपने सांइस आधारित प्रोग्राम ‘व्हाट ऑन अर्थ’ ने रामसेतु के होने का दावा किया है। कुछ आर्कियोलॉजिस्ट और भूगर्भ वैज्ञानिकों ने सेटलाइट के जरिए मिली रामसेतु की तस्वीरों, वहां की मिट्टी और बाकी चीजों की स्टडी की और पाया कि रामसेतु असल में था। इसी के आधार पर अमेरिकी टीवी चैनल ने एक प्रोग्राम बनाया है जो आज टेलिकास्ट किया जाएगा।
Are the ancient Hindu myths of a land bridge connecting India and Sri Lanka true? Scientific analysis suggests they are. #WhatonEarth pic.twitter.com/EKcoGzlEET
— Science Channel (@ScienceChannel) December 11, 2017
इस वीडियो में दिख रहा है कि भू वैज्ञानिक भारत में भी इसी तरह के एक पुल के होने का जिक्र कर रहे हैं। रिसर्च करने पर इन भू वैज्ञानिकों को पता चला की बलुई धरातल पर ये मौजूद पत्थर कहीं और से लाए गए हैं और ये बलुई धरातल से भी बहुत पुराने हैं।
वहीं सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेरिकी टीवी चैनल के इस ट्वीट को रीट्वीट किया और ‘जय श्रीराम’ लिखा।
जय श्री राम ???? https://t.co/M85KFnyZIY
— Smriti Z Irani (@smritiirani) December 11, 2017
रामसेतु पर विवाद
श्रीलंका के मन्नार द्वीप से लेकर भारत के रामेश्वरम के बीच पत्थरों की एक चेन है जिसे भारत में रामसेतु और दुनियाभर में adam’s bridge कहा जाता है।
हिंदु पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस पुल का निर्माण अयोध्या के राजा श्रीराम ने करवाया था। रामसेतु का निर्माण नल और नील नाम के दो वानरों ने किया था राम की सेना में थे। इसका जिक्र रामायण में भी मिलता है। माना जाता है कि इसी रामसेतु के जरिए भगवान राम अपनी पत्नी सीता को लाने लंका गए थे, जहां लंकापति रावण ने सीता को कैद करके रखा था।
सेतुसमुद्रम परियोजना
साल 2005 में भारत सरकार ने सेतुसमुद्रम परियोजना की घोषणा की जिसके तहत तमिलनाडु को श्रीलंका के साथ जोड़ा जाना था। साथ ही इस रामसेतु का कुछ हिस्सा तोड़ा भी जाना था ताकि तमिलनाडु में छोटे-छोटे 13 एयरपोर्ट बनाए जा सकें। हालांकि इस परियोजना पर भी सालों से बहस छिड़ी है। एक वर्ग इसके पक्ष में है तो वहीं दूसरा विपक्ष में।
सेतुसमुद्रम परियोजना से देश की सुरक्षा को लेकर खतरा है और इसकी आशंका कोस्ट गार्ड के एक अफसर भी जाहिर कर चुके हैं। उनके मुताबिक, इस सेतुसमुद्रम परियोजना का इस्तेमाल आतंकवादी कभी भी कर सकते हैं।