आज कुछ स्थानों पर ऐसे पत्थर मिलने का दावा किया जाता है जिन्हें पानी में छोड़ा जाए तो वे किसी नाव की तरह तैरने लगते हैं। जिसका सम्बंद रामसेतु के निर्माण से किया जा रहा है।आपको यह जानकारी जरूर होगी कि रामसेतु का निर्माण भगवान राम के आदेश पर उनकी वानर सेना ने किया था। जब नल और नील ने राम नाम लिखकर पानी में पत्थर छोड़े तो वे तैरने लगे। यह राम नाम का प्रभाव और वानर सेना की आस्था ही थी कि अथाह जलराशि पर पत्थर भी तैरने लगे।
रामसेतु की घटना का सम्बन्ध तो रामायण से है लेकिन छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही एक पत्थर मिल चुका है जिसमें पानी पर तैरने का गुण था। कोरबा जिले में मिला वह पत्थर काफी चर्चा का विषय बन गया था।
पत्थर रामनवमी से कुछ ही दिन पहले मिला था। उस पर भगवान राम का नाम अंकित था। उसे आम लोगों के दर्शन के लिए नहर किनारे शिवजी के एक मंदिर में रखा गया। कुछ लोगों ने इसे रामसेतु के पत्थरों के समान ही पवित्र बताया।
वे पानी में डूब जाते हैं, वहीं यह पत्थर तैर रहा था। बच्चे उसे लेकर आ गए और बुजुर्गों को बताया। सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ। जब उन्होंने अपनी आंखों से देखा तो उनके लिए यह घटना अद्भुत थी। लोग उसे देखने के लिए दूर-दूर से आने लगे।
वह पत्थर कोरबा जिले की हसदेव नदी में मिला था। नदी में कुछ बच्चे नहा रहे थे। अचानक उन्हें एक पत्थर जैसी वस्तु दिखी लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वह पानी पर तैर रही थी। उन्होंने उसे देखा तो हैरान रह गए क्योंकि वह सच में पत्थर ही था और पानी पर तैर रहा था। उस पर भगवान राम का नाम लिखा हुआ था। बच्चों ने भी उसे कई बार पानी में डुबोने का प्रयास किया परंतु वह तैरता ही रहा। उसका वजन करीब 5 किलोग्राम था।
भौतिक विज्ञानं के अनुसार
पृथ्वी के अंदर कई प्रकार की चट्टानें पाई जाती हैं और विशेष ताप व दाब के बाद उनमें जिस तत्व की प्रधानता होती है, उससे पत्थर में पानी पर तैरने का गुण पैदा हो सकता है।