भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि सरकारी बैंकों का विलय करने से पहले उनके नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) के मामले का समाधान किया जाना चाहिए। उनके बहीखातों को साफ-सुथरा बनाया जाना चाहिए, ताकि उनकी सेहत में सुधार हो सके और उनके पास पर्याप्त पूंजी हो।
राजन ने कहा है कि, ‘मेरा मानना है कि बैंकों का निदेशक मंडल सक्रिय हो और उसमें पेशेवर लोग शामिल हों, ताकि उनकी सेहत को फिर से सुधारा जा सके। उन्हें पेशेवर बनाने और उनमें से राजनीतिक हस्तक्षेप दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जाने चाहिए। एक बार हमारे ऐसा कर लेने के बाद बैंकों के विलय के लिए यह एक आदर्श स्थिति होगी।’ सरकार के सरकारी बैंकों के एकीकरण को बढ़ावा देने की कोशिशों को लेकर किए गए एक प्रश्न के उत्तर में राजन ने इस बात को कहा है।
नौकरशाह फैसला न करें-
उन्होंने यह भी कहा कि, ‘इस संबंध में अनावश्यक रुप से नौकरशाह फैसला न करें, बल्कि इसे बैंकिंग प्रणाली को समझाने वाले लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। मेरे हिसाब से हमने किसी एक या अन्य कारण की वजह से बैंकों के बहीखातों को साफ-सुथरा बनाने का काम टाल दिया है। जबकि हमें इसे वास्तव में करने की जरूरत है और हम इस काम को करने की बेहतर स्थिति में हैं। बैंकों में पूंजी डाली जानी चाहिए क्योंकि यह उनके पुन: पूंजीकरण के लिए जरूरी है। इन्हें वहां डाला जाना चाहिए, जहां इसकी जरूरत है। मुझे लगता है कि इसके बाद बैंकों के विलय का निर्णय किया जा सकता है।’