ज़रूरी नही की प्रॉस्टिट्यूट की जिंदगी के पीछे उसके शोक या भौतिक चकाचौंध हो. प्रॉस्टिट्यूट इस नाम के पीछे छुपी होती है ऐसी मजबूरियां, ऐसा दर्द जिन्हे सुनकर आपकी ऑंखें भी शर्मशार हो जाएगी, जब एक पत्रकार अपने सवालो के जरिये समाज की ऐसी बुराई को सामने लाने की कोशिश में एक प्रॉस्टिट्यूट गर्ल का साक्षात्कार लेने पंहुचा तो उस लड़की का जवाब सुन पत्रकार का हलक सुख गया और माथे से पसीने की धार गिरने लगी.
लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पत्रकारिता कुछ कारणों से ऐसा कर बैठती है जो पत्रकारिता पर ही सवालिया निशान लगा देती है. यह विडियो कुछ ऐसा ही कहता है.