नई दिल्लीः सिगरेट सहित विविध कारोबार करने वाली अग्रणी कंपनी आईटीसी ने कहा है कि उसे एक के बाद एक कर बोझ वहन करना पड़ रहा है जिससे उद्योग पर काफी दबाव बन गया है। वर्ष 2017 के बजट में पहले उत्पाद शुल्क वृद्धि का दबाव सहना पड़ा और उसके बाद अब उसे सिगरेट पर जीएसटी में मुआवजा उपकर का बोझ वहन करना पड़ रहा है। आईटीसी ने अपने तिमाही परिणाम की विज्ञप्ति में कहा है कि पिछले छह साल के दौरान सिगरेट पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर दरों में की गई ताजा वृद्धि सहित कुल 202 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।
कंपनी ने कहा है, ‘‘2017 के केन्द्रीय बजट में सिगरेट पर बढ़ाई गए उत्पाद शुल्क और जीएसटी व्यवस्था में उपकर की संशोधित दरों को मिलाकर कर बोझ में 20 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है।’’ आईटीसी ने कहा है कि उसके सिगरेट कारोबार पर लगातार दबाव बना हुआ है। लगातार नियामकीय दबाव बढ़ने और कर दरों को बढ़ाते रहने से उद्योग पर दबाव बढ़ा है। जीएसटी परिषद की 17 जुलाई 2017 को हुई बैठक में मुआवजा उपकर दर बढ़ाने से स्थिति और बिगड़ी है। जीएसटी परिषद ने तंबाकू और दूसरी अहितकर वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा उपकर लगाया है। इसके तहत मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल राज्यों को जीएसटी व्यवस्था के तहत होने वाले नुकसान की भरपाई में किया जाएगा।
आईटीसी के मुताबिक सरकार का कहना है कि जीएसटी व्यवस्था में दरें जीएसटी से पहले लागू उत्पाद शुल्क और वैट के बराबर रखीं गई हैं, लेकिन सिगरेंट के मामले में ऐसा नहीं है। सिगरेट पर कर की दरें बढ़ने से इसके वैध कारोबार पर असर पड़ा है। तंबाकू उत्पादक किसानों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। कंपनी के दिसंबर तिमाही के परिणाम के मुताबिक सिगरेट से उसका कारोबार 4,629.19 करोड़ रुपए रहा है जो कि एक साल पहले इस दौरान 8,287.97 करोड़ रुपए रहा था।