म्यांमार : प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी गुरूवार को मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र की मज़ार पर जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान वक़्त निकाल कर इस मुग़ल बादशाह की मज़ार में भी शरीक होने जाएंगे। ये मज़ार म्यांमार के यंगून में स्थित है। आपको बता दें कि बहादुर शाह जफ़र भारत की आज़ादी के लिए काफी प्रयासरत थे। बहादुर शाह ज़फर ने सबसे अधिक समय तक दिल्ली के तख़्त पर अपना हक़ जमाये रखा था।आपको बता दें कि पिछले काफी अरसे से बहादुर शाह ज़फर की कब्र को भारत लाने की मांग चल रही है। शाह की मौत साल 1862 में 89 साल की उम्र में हुई थी और उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में ही दफना दिया। जफर ने 1857 की क्रांति के बाद अपने आखिरी साल म्यांमार में ही निर्वासन में गुजारे थे। 1857 में आंदोलन की अगुवाई करने वाले जफर को आंदोलन कुचलने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने उन्हें 1858 में म्यांमार भेज दिया था। इस दौरान वे अपनी पत्नी जीनत महल और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों के साथ रह रहे थे। 7 नवम्बर, 1862 को उनका निधन हो गया। यहीं पर उनकी मजार बनाई गई। म्यांमार के स्थानीय लोगों ने उन्हें संत की उपाधि से भी नवाजा था।गौरतलब है कि पीएम मोदी म्यांमार दौरे पर हैं। बुधवार को म्यांमार दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के साथ डेलिगेशन लेवल की वार्ता की। दोनों नेताओं ने वार्ता के बाद साझा प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस वार्ता में भारत और म्यांमार के बीच कई अहम समझौते हुए। पीएम मोदी ने साझा प्रेसवार्ता में रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा भी उठाया। पीएम ने कहा कि भारत म्यांमार की चुनौतियों को समझता है और शांति के लिए हर संभव मदद करेगा।
अपने म्यांमार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी यहाँ के मशहूर बागान शहर का भी जायजा लेने जाएंगे। जहां भारतीय पुरातत्व सर्वे ने आनंद मंदिर की मरम्मत के लिए सरहानीय काम किया है, वो पिछले साल म्यांमार में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए पगोडा और भित्ति चित्रों पर भी काम करेगा।