नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने समूचे मंत्रिमंडल के सदस्यों में से किसी को भी कोई खास सलाह नहीं देते। कोई भी मामला हो, उनके लिए सब मंत्री बराबर हैं। अब ऐसे अलग-अलग मंत्रियों के निजी स्टाफ के नामों को क्लीयर करने का मौका आया था, चाहे वह गृहमंत्री राजनाथ सिंह थे, यातायात तथा जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी थे, रामविलास पासवान थे या कोई अन्य, मोदी ने मंत्रियों को खुश करने के लिए किसी नियम पर कोई ढील नहीं दी परंतु वित्तमंत्री अरुण जेटली के लिए अलग नीति अपनाई गई। मोदी ने जेटली के लिए न सिर्फ नियमों में ढील दी बल्कि उनकी एक मंत्रालय की आधिकारिक वैबसाइट पर भी सब कुछ पोस्ट कर दिया।
अप्वाइंटमैंट कमेटी ऑफ दि कैबिनेट (ए.सी.सी.) जो सब सरकारी नियुक्तियों को अंतिम रूप देने वाली बॉडी है, ने जेतली के दो निजी स्टाफ सदस्यों की समयावधि बढ़ाते हुए सब बातों को स्पष्ट कर दिया। इस संबंधी जारी एक नोटीफिकेशन में कहा गया कि ए.सी.सी. सत्यापाल भाटिया जो डी.ए.एन.आई.सी.एस. (एस.टी.ओ.) से सेवामुक्त हुए हैं, को जेतली के निजी स्टाफ में रखने की हरी झंडी पी.एम.ओ. ने दी है। यह नियुक्ति एक साल के लिए है। इस संबंधी उम्र की ऊपरी हद में भी छूट दी गई।
ए.सी.सी. ने एस.पी. रावत की जेटली के निजी स्टाफ में सहायक पी.एस. की ओर से बढ़ौतरी के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। यह बढ़ौतरी प्रस्ताव 28 नवम्बर 2017 से 31 मई 2019 तक का है। इन नियमों में छूट इसलिए दी गई कि 10 वर्ष के बाद की कुल सीलिंग में नरमी लाई जा सके क्योंकि इस समय के बाद कोई भी अधिकारी किसी मंत्री के निजी स्टाफ में नियुक्त नहीं किया जा सकता। जब मोदी सत्ता में आए थे तो उन्होंने इस सिद्धांत पर सख्ती से अमल किया था परंतु जेटली के मामले में ढील दे दी।