कश्मीर में बिना सरकारी मंजूरी के 50 से ज्यादा पाकिस्तानी और सऊदी चैनल धड़ल्ले से प्रसारित हो रहे हैं। इनके जरिए पाकिस्तान और सऊदी मौलवी कश्मीरियों को भारत के खिलाफ भड़का रहे हैं। ये चैनल उस समय कश्मीर में भारत विरोधी प्रोपेगैंडा का प्रसारण कर रहे हैं, जब जम्मू एवं कश्मीर की सत्ता में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार है। दिलचस्प बात यह है कि इन चैनलों को कई सरकारी कार्यालयों में सब्सक्राइब भी किया गया है।
इन चैनलों में विवादित इस्लामिक उपदेश जाकिर नाइक का ‘पीस टीवी’ चैनल भी शामिल है, जिसका प्रतिबंध के बावजूद भी कश्मीर में खुलेआम प्रसारण हो रहा है। इन चैनलों के जरिए कश्मीर के लोगों को सुरक्षाबलों पर पथराव करने और भारत विरोधी नारेबाजी करने के लिए उकसाया जा रहा है। ये चैनल बिना जरूरी मंजूरी के निजी केबल नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित हो रहे हैं। इनमें से ज्यादातर चैनल भारत विरोधी प्रोपेगैंडा चला रहे हैं।
कश्मीर में टाटा स्काई, एयरटेल डिजिटल टीवी और डिस टीवी जैसे सैटेलाइट टेलीविजन सर्विस प्रोवाइडर हैं, मगर ज्यादातर लोग निजी चैनलों को सब्सक्राइब किए हुए हैं। एक केबल ऑपरेटर ने बताया कि सिर्फ श्रीनगर में ही 50 हजार से ज्यादा निजी केबल कनेक्शन हैं, जो पाकिस्तानी और सऊदी चैनल का प्रसारण करते हैं।
इन चैनलों का किया जा रहा प्रसारण
कश्मीर में जाकिर नाइक के पीस टीवी ऊर्दू और इंग्लिस चैनल के साथ ही पाकिस्तान के सऊदी सुन्ना, सऊदी कुरान, अल अरबिया, पैगाम, हिदायत, नूर, मदानी, सेहर, करबला, हादी, अरी QTV, बेटहाट, अहलीबात, मैसेज, फलक, जियो न्यूज, अरी न्यूज, डॉन न्यूज समेत अन्य चैनलों का प्रसारण हो रहा है। इन चैनलों को सैटेलाइट टैलिविजन सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए एक्सेस नहीं किया जा सकता है। भारत के किसी भी कोने में इन चैनलों के प्रसारण की इजाजत नहीं है।
केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता है प्रसारण
भारत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की इजाजत के बिना किसी भी चैनल का प्रसारण नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है, तो वह पूरी तरह से गैर कानूनी है। यहां तक कि किसी फ्री चैनल का भी प्रसारण भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मंजूरी के बगैर नहीं हो सकता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ब्रॉडकास्टिंग डायरेक्टर अमित कटोच ने टाइम्स ऑफ इंडिया ने कहा कि मामले में शिकायत मिलने के बाद मंत्रालय इसकी जांच करेगा और उचित कार्रवाई करेगा।