इस्लामाबाद, 14 जून 2021
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) को कराची में एक हिंदू धर्मशाला को गिराने और इसे किसी व्यक्ति को पट्टे पर देने से रोक दिया है।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर 2014 के एक फैसले को लागू करने से संबंधित मामले में तीन जजों की बेंच ने आदेश जारी किया।
अल्पसंख्यकों पर एक सदस्यीय आयोग के सह-सदस्य रमेश कुमार ने अदालत से कहा कि कराची शहर के सदर शहर के केंद्र में स्थित संपत्ति एक धर्मशाला है।
कुमार ने इमारत की तस्वीरें भी जमा कीं और सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ईटीपीबी ने संपत्ति को विध्वंस के लिए व्यक्ति को पट्टे पर दिया था और एक वाणिज्यिक प्लाजा के निर्माण की अनुमति दी थी।
मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है, “तस्वीर से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि इमारत वर्ष 1932 में निर्मित एक धर्मशाला की है, जिसे इमारत पर लगे संगमरमर के स्लैब से पढ़ा जा सकता है और इसे संरक्षित विरासत भवन होना चाहिए।”
अदालत ने सिंध प्रांत के विरासत सचिव को नोटिस जारी कर इमारत पर रिपोर्ट मांगी और अधिकारियों को इसे गिराने से रोक दिया।
आदेश के अनुसार, “इस बीच, उक्त भवन में कोई भी विध्वंस गतिविधि किसी के द्वारा संचालित नहीं की जाएगी और भवन को भूमि आयुक्त कराची द्वारा अपने कब्जे में लिया जाएगा, जो इसका प्रबंधन करेगा और किसी भी व्यक्ति को उस पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा।”