संसद की लोक लेखा समिति ने कॉमनवेल्थ घोटाले से जुड़ी उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका की आलोचना की गई है।
रिपोर्ट में क्या है?
1.) प्रधानमंत्री कार्यालय को जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के बजाए तैयारियों पर निगाहेंं रखनी चाहिए थी।
2.) तत्कालीन कैबिनेट सचिवालय खेलों के आयोजन से जुड़ी जवाबदेही तय करने में नाकाम रहा और लगातार सियासी दबाव के आगे घुटने टेकता रहा है।
3.) कमेटी जिम्मेदारी से बचने की इस रिवायत की निंदा करती है और उम्मीद करती है कि पीएमओ/कैबिनेट सचिवालय ऐसे मामलों में मिसाल पेश करेगा।
4.) मनमोहन सिंह के अधीन प्रधानमंत्री कार्यालय ने कलमाड़ी को कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाने और तैयारियों की निगरानी की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा है।
5.) तत्कालीन पीएमओ ने ‘भ्रामक’ दलील दी है कि 14 जनवरी 2014 को खेलों के सिलसिले में मंत्रिमंडल समूह की बैठक के मिनट्स ना बंटने की जिम्मेदारी खेल मंत्रालय की बनती है।
6.) तत्कालीन खेल मंत्री सुनील दत्त के ऐतराज को दरकिनार कर कलमाड़ी को आयोजन समिति की कमान सौंपना एक ‘महंगी गलती’ थी।
खुलेंगी घोटालों की बंद फाइलें
लोक लेखा समिति ने सीबीआई को घोटाले से जुड़े छह मामलों की फाइलें दोबारा खोलने को कही है। इसके साथ ही ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के सीनियर सदस्यों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच तेज करने के भी निर्देश दे दिए हैं। इस मामले में सीबीआई ने कुल 33 केस दर्ज किये थे। रिपोर्ट की राजनीतिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने भी इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल रखा था। समझा जा रहा है कि 357 पन्नों की रिपोर्ट में भाषाई बदलाव के बाद इसे कमेटी ने स्वीकार किया है।