नई दिल्ली, आज इलेक्शन कमीशन ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया। नॉमिनेशन दाखिल करने की आखिरी तारीख 28 जून है। राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनज़र सोनिया गांधी ने बुधवार शाम 4 बजे यूपीए की 17 सहयोगी पार्टियों की मीटिंग बुलाई है। कांग्रेस प्रेसिडेंट ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर चर्चा के लिए पिछले महीने भी अपोजिशन लीडर्स को लंच पर बुलाया था। इसमें लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी समेत 17 नेता शामिल हुए थे। हालांकि, नीतीश ने इसमें शिरकत नहीं की थी। उनकी पार्टी से शरद यादव और केसी. त्यागी शामिल हुए थे। इस लंच में बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति, एआईएएमडीके शामिल नहीं हुए थे। गौरतलब ये भी है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अपोजिशन लीडर्स को दिए लंच में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को आमंत्रण ही नहीं दिया था। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस बारे में कोई रिएक्शन भी नहीं दिया। हालांकि आप के 21 विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकते हैं।
आपको बता दें कि मौजूदा प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। इसके पहले ही 17 जुलाई को अगर जरूरत पड़ी तो वोटिंग हो सकती है और 20 जुलाई को काउंटिंग होगी। राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार तय करने के लिए UPA-NDA दोनों ने अपनी-अपनी कमेटियां बना ली हैं।
UPA ने चुनाव पर चर्चा के लिए 10 मेंबर्स की कमेटी बनाई है। इसमें कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे, जेडीयू नेता शरद यादव, राजेडी नेता लालू प्रसाद यादव, सीपीआई नेता सीताराम येचुरी, टीएमसी नेता डेरेक ओब्रायन, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा, डीएमके नेता आरएस भारती और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल शामिल हैं। हालांकि, विपक्ष लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए साझा कैंडिडेट उतारा जाए। खबर है कि बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपालकृष्ण गांधी यूपीए के कैंडिडेट हो सकते हैं।
NDA ने कैंडिडेट चुनने के लिए बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने 3 मेंबर्स राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू और अरुण जेटली की कमेटी बनाई है । यह कमेटी अलायंस के सहयोगी दलों से चर्चा करके उम्मीदवार का नाम तय करेगी।
हालांकि बीच में शिवसेना ने मोहन भागवत का नाम राष्ट्रपति पद के लिए उछाला था, लेकिन अमित शाह और आरएसएस चीफ ने इससे इनकार कर दिया। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर बाबरी केस चल रहा है। लेकिन इसके बावजूद वे इलेक्शन में हिस्सा ले सकते हैं।
आपको बता दें कि 5 राज्यों के असेंबली इलेक्शन के बाद राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की पोजिशन मजबूत है। एनडीए को अपनी पसंद का प्रेसिडेंट बनाने के लिए मात्र 20 हजार वोटों की जरूरत है। इसके लिए उसे उन गैर-एनडीए और गैर-यूपीए दलों की जरूरत है, जिन्होंने अभी तक ये तय नहीं किया है कि वे किस तरफ जाएंगे। इनका वोट पर्सेंटेज करीब 13% है। यही 13% वोट तय करेंगे कि अगला राष्ट्रपति किसकी पसंद का होगा।
राष्ट्रपति चुनाव का शेड्यूल
- चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन:14 जून
- नॉमिनेशन दाखिल करने की आखिरी तारीख:28 जून
- नॉमिनेशन की स्क्रूटनी:29 जून
- नॉमिनेशन वापस लेने की आखिरी तारीख:1 जुलाई
- वोटिंग (जरूरत पड़ने पर):17 जुलाई, सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे
- काउंटिंग (जरूरत पड़ने पर): 20 जुलाई, सुबह 11 बजे से
चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने कहा कि राजनीतिक दल अपने संसद सदस्यों और विधानसभा सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव के बारे में कोई भी व्हिप नहीं जारी कर सकते हैं। वोटों की गिनती दिल्ली में होगी। चुनाव आयोग ही प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के विजेता का एलान करेगा।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा और विधानसभा की 13 सीटें खाली हैं। 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव का फैसला राष्ट्रपति चुनाव के बाद लिया जाएगा।
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज से होता है। भारत के राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मिलकर चुनते हैं। सभी सांसदों और विधायकों के पास निश्चित संख्या में वोट हैं। हालांकि, हर निर्वाचित विधायक और सांसद के वोटों का मूल्य अलग-अलग होता है।
MP: एक सांसद के वोट की वैल्यू पता करने के लिए विधायकों के कुल वोटों को सांसदों की कुल संख्या से भाग दें। इस फॉर्मूले के तहत अभी एक MP के वोट की वैल्यू 708 है।
MLA: राज्य की आबादी / (वहां के कुल विधायकों की संख्या * 1000)
इस बार कुल 4896 वोटर राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे। इनमें 4120 MLAs और 776 MPs शामिल हैं
कितने वोटों की है ज़रूरत
किसी भी दल को अपनी पसंद का प्रेसिडेंट बनाने के लिए 50% यानी 5,49, 442 वोटों की जरूरत है।
पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव में कुल 10,29,750 वोट पड़े थे जिनमें से प्रणब मुखर्जी को 7,13,763 वोट मिले थे।
क्या है UPA और NDA की स्थिति
NDA के पास लोकसभा, राज्यसभा, स्टेट असेंबली को मिलाकर टोटल 5,27,371 वोट हैं। एनडीए का टोटल वोट पर्सेंटेज 48.10 फीसदी है।
UPA के पास साझा कैंडिडेट उतारने की स्थिति में टोटल वोट 5,68,148 होंगे यानी करीब 51.90%। ये पसंद का प्रेसिडेंट बनाने के लिए काफी है।
ऐसे में ये 13% तय करेंगे किसकी पसंद का होगा अगला राष्ट्रपति
NDA की नजर AIADMK (5.36%), BJD (2.98%), TRS (1.99%), YSRCP (1.53) जैसी पार्टियों पर रहेगी। इन पार्टियों का सपोर्ट किसे जाएगा, अभी तय नहीं है। इनका टोटल वोट 13% के आसपास है। यानी करीब 1.70 लाख वोट। ऐसे में अगर कोई एक बड़ी पार्टी या दो पार्टियों का सपोर्ट मिल जाता है तो NDA अपनी पसंद का प्रेसिडेंट बना लेगी।