नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने डीजीसीए के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें चेक-इन के दौरान 15 से 20 किलो के बीच के बैगेज पर प्रति किलो 100 रुपये का फिक्स चार्ज रखा गया था। जस्टिस विभु बखरू ने कहा है कि डीजीसीए के पास अतिरिक्त चेक-इन बैगेज पर टैरिफ तय करने का कोई अधिकार नहीं है। एयरलाइंस कंपनियां 20 किलो से ज्यादा बैगेज होने पर अपने हिसाब से चार्ज वसूलने को स्वतंत्र थी।
हालांकि, एयरलाइंस कंपनियों को 20 किलो से ज्यादा वजन के बैगेज पर अपनी मर्जी से चार्ज वसूलने की आजादी मिली हुई थी। मगर, अब उन्हें 15 किलो से 5 किलो तक के ज्यादा वजन वाले सामान प्रति किलो 350 रुपये वसूलने का फिर से पहले जैसा ही अधिकार प्राप्त हो गया है। इसका मतलब यह है कि अब हवाई यात्रियों को 15 से ज्यादा और 20 किलो तक वाले बैगेज पर प्रति किलो 250 रुपये की दर से अतिरिक्त चार्ज देना पड़ेगा।
करीब दो साल पहले एयर इंडिया को छोड़कर सभी भारतीय विमानन कंपनियों ने घरेलू उड़ान में इकॉनमी क्लास से यात्रा करने वालों के लिए फ्री चेक-इन बैगेज की सीमा 20 किलो से घटाकर 15 किलो कर दी थी। तब कंपनियां 20 किलो के अंदर वाले बैगेज पर 15 किलो के अतिरिक्त वजन पर प्रति किलो 220 से 350 रुपये की दर से चार्ज वसूलने लगीं थी।
मगर यात्रियों की ओर से शिकायतें मिलने के बाद डीजीसीए ने 10 जून, 2016 को एयरलाइंस कंपनियों को 20 किलो तक वाले बैगेज पर 15 किलो से अतिरिक्त वजन पर प्रति किलो 100 रुपये से ज्यादा नहीं वसूलने का निर्देश जारी कर दिया है। हालांकि, 20 किलो के अतिरिक्त वजन पर प्रति किलो अपनी मर्जी से वसूलने का अधिकार कंपनियों के पास बरकरार है।
इंडिगो, जेट, गोएयर और स्पाइसजेट जैसी कंपनियों की सदस्यता वाले फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस ने डीजीसीए के इस निर्देश को अदालत में चुनौती दे दी थी।