नई दिल्ली, नोटबंदी और जीएसटी का असर सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर नहीं, बल्कि रियल इस्टेट सेक्टर पर भी पड़ा. मोदी सरकार के इन दोनों फैसलों ने घर की कीमतों को कम करने में मदद की. 2017 में घरों की कीमतें औसतन 3 फीसदी घटीं. इसके लिए नोटबंदी और जीएसटी के अलावा रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) भी जिम्मेदार था.
प्रॉपर्टी कंसलटेंट नाइट फ्रैंक ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में प्रॉपर्टी की कीमतों में काफी कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक देश के बड़े शहरों में घरों की कीमतों में यह गिरावट औसतन 3 फीसदी रही.
इन शहरों में सस्ते हुए घर
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा पुणे में घर खरीदना सस्ता हुआ. यहां प्रॉपर्टी की कीमतों में 7 फीसदी की गिरावट आई. पुणे के बाद मुंबई दूसरे नंबर पर रही. यहां घरों की कीमतों में 5 फीसदी की कमी आई. दिल्ली एनसीआर में भी प्रॉपर्टी की कीमतों में भारी कमी आई और पिछले साल यहां कीमतें औसतन 2 फीसदी कम हुईं.
कीमतें गिरने के ये हैं कारण
- रिपोर्ट के मुताबिक प्रॉपर्टी की कीमतों में आई इस गिरावट के लिए कम डिमांड जिम्मेदार रही. बेंगलुरु में जहां 26 फीसदी घरों की बिक्री गिरी. वहीं, दिल्ली एनसीआर में यह गिरावट 6 फीसदी और चेन्नई में बिक्री 20 फीसदी कम रही. हालांकि मुंबई और पुणे में डिमांड अन्य शहरों के मुकाबले बेहतर दिखी.
- कम बिक्री होने का असर नई प्रॉपर्टी के लॉन्च पर भी पड़ा. दिल्ली एनसीआर में नई प्रॉपर्टी की लॉन्चिंग में 56 फीसदी की कमी आई. वहीं, बेंगलुरु में यह कमी 41 फीसदी रही. इसका रियल इस्टेट सेक्टर पर काफी बुरा असर पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक एनसीआर में 6 फीसदी कम बिक्री देखने को मिली. 2017 में बिक्री 37,653 यूनिट रही. वहीं, घरों की कीमतों में 2 फीसदी की कमी आई.
- रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल सस्ते घरों की लॉन्चिंग 2016 के मुकाबले बढ़ी है. 2016 में जहां सस्ते घरों के नया लॉन्च 53 फीसदी रहा. वहीं, 2017 में यह 83 फीसदी पर रहा.
डेवलपर्स ने पिछले साल ऐसी प्रॉपर्टी तैयार करने पर फोकस किया, जो 50 लाख रुपये की कीमतों के ब्रैकेट में आती हैं. इस सेगमेंट में लॉन्च इसलिए भी ज्यादा रही, क्योंकि इस सेगमेंट डिमांड काफी ज्यादा बढ़ी थी. प्रधानमंत्री आवास योजना भी इसकी एक अहम वजह है.