नोएडा, ग्रेटर नोएडा के सुपरटेक डेवलपर्स को अवैध फ्लैटों के सील होने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है.
हालांकि हाईकोर्ट ने इन अवैध फ्लैटों को खरीद कर उसमें रह रहे लोगों को थोड़ी राहत जरूर दी है. मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 160 फ्लैटों में रह रहे लोगों को रहने की इजाजत दे दी है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि बचे 904 फ्लैटों के सील होने का आदेश प्रभावी रहेगा.
हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार में लम्बित अपील पर फैसला आने तक फ्लैटों से सील हटाने की बिल्डर की मांग भी खारिज कर दी है. मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बिल्डर की अपील पर जल्द फैसला लेने का भी आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर्स द्वारा मानकों विपरीत अवैध रूप से बनाए गए 1064 फ्लैटों को सील करने का आदेश 20 अप्रैल 2016 को दिया था. वर्ष 2007 में सुपरटेक डेवलपर्स ने ग्रेटर नोएडा में सुपरटेक जार सूट्स प्रोजेक्ट के लिए 844 फ्लैट का नक्शा पास कराया था लेकिन बाद में बिल्डर ने अवैध रूप से 1904 फ्लैट बना लिए.
अवैध फ्लैटों के निर्माण कराये जाने को याचिकाकर्ता वीके शर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने थर्डपार्टी राइट्स देने एवं फ्लैट बेचने पर पहले ही रोक लगा दी थी और डेवलपर से जवाब भी मांगा था.
मामले के हाईकोर्ट में आने के बाद सुपरटेक ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से कम्पाउण्डिंग कर अवैध फ्लैटों को वैध करने की मांग की, जिससे अथॉरिटी ने इंकार कर दिया. इसके बाद सुपरटेक की अपील राज्य सरकार के पास विचाराधीन है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई.