पटना, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल के दिनों के भागलपुर के सबसे बड़े सृजन घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। आपको बता दें कि ‘सृजन’ एक गैर सरकारी संस्था है, जो जिले में महिलाओं के विकास के लिए और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करती है। इस संस्था के द्वारा पापड़, मसाले, साड़ियां और हैंडलूम के कपड़े बनवाए जाते थे और मसाले और पापड़ सभी ‘सृजन’ ब्रांड से बाजार में बेचे जाते थे. लेकिन अब ये बात एकदम आफ है कि इस संस्था का पापड़ और मसाले बनाने का धंधा केवल लोगों को गुमराह करने के लिए था ,असल में तो इस संस्था ने पिछले कई वर्षों से बैंकों की मिलीभगत से सरकारी जमा खाते से तकरीबन 300 करोड़ रुपये से ज्यादा अवैध रूप से निकाले थे। इस पैसे को बाजार में निवेश किया तथा रियल एस्टेट में भी लगाया. इन पैसों से लोगों को 16% ब्याज दर पर लोन भी मुहैया कराया गया।
भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने बताया कि यह संस्था दो तरीकों से सरकारी खजाने से अवैध रुपया निकलवाती थी। एक तरीका था स्वाइप मोड और दूसरा था चेक मोड। स्वाइप मोड में राज्य सरकार या केंद्र सरकार एक पत्र के माध्यम से बैंक को सूचित करती थी कि कितनी राशि बैंक में जमा करा दी गई है। बैंक के अधिकारी भी इस पूरे षड़यंत्र में लिप्त थे। बैंक अधिकारी सरकारी खाते में इस पैसे को जमा नहीं दिखाकर ‘सृजन’ के खाते में इस पूरे पैसे को जमा कर दिया करते थे।
दूसरा तरीका था चेक मोड, जहां पर केंद्र सरकार या राज्य सरकार चेक के माध्यम से पैसे भागलपुर जिले के सरकारी खातों में जमा कराती थी। एक बार सरकारी खाते में चेक जमा हो जाने के बाद जिलाधिकारी के दफ्तर में शामिल कुछ लोग जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर से अगले दिन वही राशि ‘सृजन’ के अकाउंट में जमा करा दिया करते थे।
अब तक इस पूरे मामले में 7 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और 5 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं। ‘सृजन’ के संस्थापक मनोरमा देवी के पुत्र और बहू, अमित कुमार और बेटी प्रिया कुमार फिलहाल फरार चल रहे हैं। उनको गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की दबिश जारी है। इस पूरे घोटाले की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी की मृत्यु इसी साल फरवरी महीने में हो चुकी है।