दोषियों

निर्भया गैंगरेप में आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निर्भया कांड को ‘सदमे की सुनामी’ बताया। कोर्ट का फैसला आते ही कोर्ट रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना फैसला पढ़ते हुए चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।

केस की जानकारी: 13 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई और नाबालिग को तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेज दिया गया। 13 मार्च, 2014 को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा। 5 मई, 2017 यानी शुक्रवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।

इस मामले में कुल 6 लोग आरोपी थे। जिसमे राम सिंह, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा ये पांच और छठा आरोपी नाबालिक था। इस वारदात का मुख्य आरोपी राम सिंह था। राम सिंह (32) पेशे से बस ड्राइवर था। जिस चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस बस को ही चला रहा था। 11 मार्च, 2013 को राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी।

मुकेश (32) बस का क्लीनर था। मुकेश सिंह अभी तिहाड़ जेल में बंद है। विनय शर्मा (26) पेशे से फिटनेस ट्रेनर था। विनय भी तिहाड़ जेल में कैद है। विनय ने पिछले साल जेल के भीतर आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी लेकिन वह बच गया। पवन गुप्ता (24) दिल्ली में फल बेचने का काम करता था। पवन गुप्ता भी तिहाड़ जेल नंबर दो में अन्य दोषियों के साथ बंद है। अक्षय ठाकुर (33) बिहार का रहने वाला है। वह अपनी पढ़ाई छोड़कर घर से भागकर दिल्ली आ गया था।

गैंगरेप का छठा आरोपी एक नाबालिग है। घटना के वक्‍त वह नाबालिग था। इसलिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ उसे सुधार केंद्र में भेजा था। दिसंबर, 2015 में सजा पूरी करने के बाद उसे रिहा कर दिया गया।