बीजिंगः नेपाल ने इंटरनैट एक्सेस के लिए भारत की जगह अब किसी और देश का रूख किया है। नेपाल में शुक्रवार से चीन के इंटरनेट का इस्तेमाल शुरू हो गया है। ऐसा पहली बार है कि हिमालय पार से बिछाई गई चीन की ऑप्टिकल फाइबर की मदद से देश के रसुवगाढ़ी बॉर्डर पर 1.5 गीगा-बाइट्स पर सेकेंड (GBPS) की स्पीड मिलेगी। हालांकि, ये स्पीड भारत के 34 GBPS की स्पीड से काफी कम है। बता दें कि इंटरनेट के लिए नेपाल अब तक पूरी तरह से भारत पर निर्भर था। हालांकि, 2016 में एक MoU साइन होने के बाद नेपाल को चीन से इंटरनेट मिलने का रास्ता साफ हो गया था।
नेपाल के इन्फॉर्मेशन और कम्युनिकेशन मिनिस्टर मोहन बहादुर बसनेट ने शुक्रवार को एक फंक्शन में नेपाल-चीन क्रॉस बॉर्डर ऑप्टिकल फाइबर लिंक की शुरूआत की।
बसनेट ने कहा कि चीन और नेपाल में ऑप्टिकल फाइबर लिंक स्थापित होना एक मील का पत्थर है। इससे देशभर का इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी विकसित होगा।
वहीं नेपाल में चीन के अम्बेस्डर यू होंग ने कहा कि दोनों देशों ने न सिर्फ इंटरनैट कनेक्शन की दूरी कम की है बल्कि बिजनेस में भी एक-दूसरे के लिए नई क्षमताएं खड़ीं कर दी हैं।
बता दें कि 2016 में नेपाल टेलीकाॅम और चीन टेलीकम्युनिकेशन के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग साइन हुआ था। इसके तहत दोनों देशों में हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक, चीन की तरफ से मिलने वाली इंटरनेट स्पीड भारत के मुकाबले अभी काफी कम है। जहां चीनी फाइबर लिंक से रसुवगाढ़ी बॉर्डर पर 1.5 जीबीपीएस की स्पीड मिल रही है, वहीं बिराटनगर, भाईराहवा और बीरगंज में भारत के इंटरनेट की स्पीड 34 जीबीपीएस है।