चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि आज दुनिया के हर देश में महिलाएं आर्म्ड फोर्स में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवाएं दे रही हैं। भारतीय सेना में महिलाओं की ट्रेनिंग बेहद मुश्किल होती है जो उन्हें न सिर्फ शारीरिक मजबूती देती है बल्कि विभिन्न परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी को निभाने के लिए तैयार करती है। उन्होंने ये बात एससीओ -इंटरनेशनल वेबिनार में सशस्त्र सेना में महिलाओं की भूमिका के विषय पर बोलते हुए कही है।
आपको बता दें कि भारतीय सेना में महिलाएं पहले शार्ट सर्विस कमिशन के तहत हिस्सा लेती थीं। लेकिन सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एक एतिहासिक निर्णय सुनाते हुए कहा कि महिलाएं न सिर्फ मिलिट्री कालेज में दाखिला ले सकेंगी बल्कि वो स्थायी कमिशन के लिए भी जा सकेंगी। इससे पहले कोर्ट ने महिलाओं की प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस अकादमी में एंट्री को लेकर हरी झंडी दिखाई थी।
बता दें कि मौजूदा समय में भारतीय सेना में महिलाएं एक फीसद से भी कम हैं। वहीं वायुसेना में 1.08 फीसद और नौसेना में ये करीब 6.5 फीसद हैं। लेकिन कोर्ट के इन दोनों फैसलों के बाद सेना की वर्दी पहनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए नई राह खुल गई है। बता दें कि वर्ष 1992 में शार्ट सर्विस कमीशन के तहत पहली बार महिलाओं की नियुक्ति की गई थी। हालांकि उस वक्त इसमें सेवा की अवधि महज पांच वर्ष की होती थी। बाद में इसको बढ़ाकर 10 वर्ष और फिर वर्ष 2006 में इसके तहत की जाने वाली सर्विस को 14 वर्ष कर दिया गया था।
वर्तमान में महिलाएं भारतीय सेना की सभी 10 शाखाओं में स्थायी कमीशन ले सकती हैं। इसमें आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी एवियेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कॉर्प्स (एएससी), आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स (एओसी) और इंटेलीजेंस कार्प्स शामिल है। भारतीय सेना में अब महिलाएं रणक्षेत्र में जाने के लिए भी तैयार हो रही हैं।