देश के थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी के मुद्दे पर खुद होम मिनिस्टर अमित शाह सक्रिय हो गए हैं। सोमवार को ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी इस मुद्दे पर मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। दोनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनके मंत्रालयों के अफसर भी मौजूद थे। इस अहम बैठक में एनटीपीसी के अधिकारी भी हिस्सा ले रहे हैं। बता दें कि राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, यूपी समेत कई राज्यों ने कोयले की कमी का हवाला देते हुए कहा है कि यदि संकट जारी रहा तो आने वाले दिनों में बिजली की आपूर्ति में कटौती की जा सकती है।
यही नहीं दिल्ली की आप सरकार ने तो इस मसले पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। रविवार को डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा था कि केंद्र सरकार इस संकट को उसी तरह टाल रही है, जैसे उसने ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर फोस नहीं किया था। हालांकि ऐसी तमाम टिप्पणियों का जवाब देते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा था कि फिलहाल देश के कोयला पावर प्लांटों के पास 7.2 मिलियन टन का भंडार मौजूद है। कोयला प्लांट्स में पर्याप्त भंडार मौजूद है, जो 4 दिनों के लिए काफी है। यही नहीं उन्होंने देश के कई राज्यों में ब्लैकआउट के खतरे वाली खबरों को भी गलत करार दिया था।
ऊर्जा मंत्री ने खारिज किया संकट, पर हलचलें बता रहीं कि मुश्किल है
उनका कहना था कि सरकारी कंपनी कोल इंडिया के पास भी 40 मिलियन टन का भंडार फिलहाल मौजूद है, जिसे पावर स्टेशनों को सप्लाई किया जा रहा है। ऊर्जा मंत्रालय का कहना था कि पावर सप्लाई में कमी या फिर बाधा आने की बातें पूरी तरह से गलत हैं। बता दें कि बीते कुछ महीनों में लॉकडाउन में ढील के चलते तेजी से इंडस्ट्री शुरू हुई है। इससे कोयले की खपत में इजाफा हुआ है। वहीं बारिश अधिक होने के चलते कई क्षेत्रों में कोयले का खनन प्रभावित हुआ है। इसी वजह से कोयले की सप्लाई में कमी देखने को मिल रही है।
70 फीसदी पावर प्लांट्स कोयले पर ही निर्भर
बता दें कि भारत में 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयला आधारित पावर प्लांट्स के जरिए ही होता है। ऐसे में यह संकट अभूतपूर्व है और यदि गहराता है तो कई राज्यों में बिजली का संकट खड़ा हो सकता है। भारत जैसा ही कोयले का संकट चीन में भी देखने को मिला है। चीन में कई कंपनियों ने उत्पादन में कमी कर दी है। यही नहीं कई राज्यों में बिजली की आपूर्ति में भी कमी की गई है।