बीएसपी से निकाले गए नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी ने कहा कि पार्टी सुप्रीमो मायावती ने मेरे और मेरे बेटे पर झूठ और फरेब का सहारा लेकर आरोप लगाया गया है।
अाखिर कहां बिगड़ी बात?
चुनाव के बाद मायावती ने मुझे बुलाया मेरे साथ मेरा बेटा अफजल भी गया था। मायावती ने मुझसे पूछा कि मुसलमानों ने बीएसपी को वोट क्यों नहीं दिया? मैंने कहा,’ऐसा नहीं है। कांग्रेस और एसपी का गठबंधन होने के बाद हमारे साथ जो मुसलमान थे वे भी बट गए। मायावती ने कहा कि हमने 1993 में एसपी से गठबंधन किया और 1996 में कांग्रेस से गठबंधन किया तब भी हमें मुसलमानों ने वोट नहीं दिया था।’
Me and my son have been expelled from the party based on false allegations: Naseemuddin Siddiqui, former senior BSP leader pic.twitter.com/vrFdahWTGm
— ANI UP (@ANINewsUP) May 11, 2017
सिद्दीकी ने बताया, ‘मायावती ने मुसलमानों को गद्दार कहा।’ मायावती ने कहा था, ‘मुझसे दाढ़ी वाले मौलाना मिलने आते थे, मगर उन्होंने मुझे वोट नहीं दिया। मुसलमानों ने हमें धोखा दिया है।’
मायावती ने कहा कि दलित समुदायों की कई जातियों ने बीएसपी को वोट नहीं दिया है। सिद्दीकी ने कहा, ‘मायावती उन्हें बुरा-भला कहने लगीं। मायावती ने 19 अप्रैल को बिना मेरा नाम लिए हुए कहा कि एक बड़े नेता ने कहा है कि गठबंधन के कारण हमारी यह स्थिति हुई है। लेकिन मैं इसे नहीं मानता हूं।’
स्वाति सिंह मामले में भी नसीमुद्दीन की बढ़ सकती है मुश्किलें
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ स्वाति सिंह और उनकी बेटी पर अभद्र टिप्पणी मामले में पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर ली है और जल्द ही वो चार्जशीट सौंप सकती हैं। बसपा नेता राम अचल राजभर और मेवालाल गौतम के खिलाफ भी हज़रतगंज पुलिस ने चार्जशीट तैयार की है। ऐसे में नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ना तय है। हालांकि तमाम नजरें नसीमुद्दीन सिद्दीकी के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हुई है कि आखिर नसीमुद्दीन, मायावती के खिलाफ कौन-सा सबूत लाते हैं, जिसमें उनके खिलाफ पैसे लेने का आरोप साबित होता है।
‘दिया वफादारी का उदाहरण’
अपनी सफाई में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि, ‘बसपा का साथ थामने के साथ से लेकर अब तक मैंने मायावती के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। मायावती के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए नसीमुद्दीन ने एक उदाहरण भी दिया।
भावुक हुए थे सिद्दीकी
सिद्दीकी ने लिखा, ‘1996 में यूपी विधानसभा के चुनाव थे। मायावती जी बदायूं की बिल्सी सीट से चुनाव लड़ रही थीं। मैं चुनाव प्रभारी था। चुनाव के दौरान मेरी इकलौती बड़ी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई थी, वो बांदा में थी। मेरी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था। उसने फोन पर बताया कि बेटी की आखिरी सांस चल रही है, आप आ जाओ। मैंने मायावती जी को ये बताया। उन्होंने चुनाव खराब होने का हवाला देते हुए मुझे जाने से रोक दिया, मैं नहीं गया। मेरी इकलौती बेटी का ईलाज के अभाव में इंतकाल हो गया। मैं अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया और मायावती जी का चुनाव लड़ाता रहा। मैं अपनी बेटी की सूरत तक नहीं देख सका।’ ये भावुक अपील करते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि मेरे वफादारी का सिला मुझे पार्टी से बाहर निकालकर दिया गया है।
मुसलमानों के ऊपर लगाए गलत आरोप
नसीमुद्दीन ने चुनाव में बीएसपी की हार का भी जिक्र किया। सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि मायावती अपनी गलत नीतियों के कारण 2009 लोकसभा चुनाव, 2012 विधानसभा चुनाव और 2014 लोकसभा चुनाव हारी हैं और उन्होंने मुसलमानों के ऊपर गलत आरोप लगाए हैं।