केंद्र सरकार मौजूदा विवादों के चलते जल्द ही कैबिनेट फेरबदल कर सकती है। सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि सुरेश प्रभु की इस्तीफ़े की पेशकश के बाद जल्दी होने वाले कैबिनेट फेरबदल में उनकी छुट्टी हो सकती है। सूत्रों की मानें तो सरकार उनके इस्तीफ़े को रेल हादसों से जोड़कर नहीं दिखाना चाहती है, बल्कि ऐसा दर्शाना चाहती है कि कैबिनेट फेरबदल में उनको हटाया गया है। वहीं रक्षा मंत्रालय जैसे अहम पद पर भी कैबिनेट फेरबदल के दौरान निगाहें होंगी। मानसून सत्र खत्म होने के बाद से ही कैबिनेट फेरबदल की चर्चा तेज हो चुकी है। हालांकि गुजरात राज्यसभा चुनाव की वजह से फेरबदल की तारीख आगे बढ़ती रही। ऐसे में अब मोदी सरकार अपने तीसरे कैबिनेट फेरबदल के लिए तैयार है।
अभी मोदी सरकार में ऐसे कई मंत्री हैं, जिनके पास एक से ज्यादा महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं। मनोहर पर्रिकर के गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद अरुण जेटली के पास तो वित्त और रक्षा जैसे दो बड़े मंत्रालयों का भार है। चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए एक फुलटाइम डिफेंस मिनिस्टर की जरूरत साफ देखी जा सकती है। एम वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनाए जाने के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय खाली हो गए हैं। सूचना प्रसारण का एडिशनल चार्ज कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी को मिला है, तो शहरी विकास मंत्रालय नरेंद्र सिंह तोमर को मिला है। ऐसे में यह जिम्मेदारी मिलने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर के पास पांच मंत्रालय हैं। वहीं स्मृति इरानी के पास भी दो मंत्रालयों का भार है। इसी तरह अनिल माधव दवे के मई में निधन के बाद से केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन उनके पर्यावरण मंत्रालय का अतिरिक्त भार संभाल रहे हैं।
इन मंत्रालयों पर नजर-
वैसे तो रेल हादसों के बाद इस बात पर लोगों की निगाहें सबसे ज्यादा होंगी कि सुरेश प्रभु की रेल मंत्रालय से छुट्टी होती है, तो अगला रेल मंत्री कौन होगा। हालांकि चीन विवाद की वजह से रक्षा मंत्रालय पर भी सबकी नजर होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी अरुण जेटली से कौन सा मंत्रालय वापस लेते हैं। वैसे एक से ज्यादा महत्वपूर्ण मंत्रालय पहले भी एक व्यक्ति के हाथों में रह चुके हैं। हालांकि वे मंत्रालय आमतौर पर एक दूसरे से जुड़े होते हैं। फाइनेंस और कॉर्पोरेट अफेयर या फिर शिपिंग और रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय का भार हो तो ज्यादा बड़ी बात नहीं होती है, मगर वित्त, रक्षा जैसे महत्वपूर्ण और कपड़ा, सूचना-प्रसारण जैसे बेमेल विभाग एक ही मंत्री को दिया जाए, तो जरूर सवाल उठने का मौका मिलता है।
2019 चुनावों को देखते हुए फैसला-
इस फेरबदल में रक्षा मंत्रालय समेत 4 बड़े मंत्रालयों पर फैसला हो सकता है। वहीं काम न करने वाले मंत्रियों की भी छुट्टी हो सकती है। इस फेरबदल में 2019 के लोकसभा चुनावों का भी ध्यान रखा जाएगा। वहीं कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही आने वाले विधानसभा चुनावों को भी ध्यान में रखा जा सकता है। अगले दो साल के अंदर ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में चुनाव होने हैं। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नजर 2019 के लोकसभा चुनावों पर भी रहेगी। इसी के मद्देनजर दक्षिण के कुछ चेहरे पीएम मोदी के कैबिनेट में दिखाई दे सकते हैं। वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद से भी उनकी जगह के लिए एक नए चेहरे की तलाश की जा रही है, जो बीजेपी के तार दक्षिण भारत से जोड़ सके। वहीं यह बदलाव 2019 चुनावों से पहले अंतिम बदलाव भी साबित हो सकता है।