नई दिल्ली : एक ऐसा शख्स जिसकी शख्सियत किसी पहचान की मोहताज़ नहीं है,जिसके नाम की एक झलक देने पर ही पूरी दुनिया हिल जाती है। भारत का सबसे बेखौफ और सबसे बड़ा ठग जिसने ठगी के बाज़ार में अपना सिक्का ऐसा जमाया कि क्या आम आदमी,क्या अमीर यहाँ तक कि उसने पूरी सरकार तक को अपने कारनामों से हिला कर रख दिया था।
ताजमहल और लालकिला तक बेच दिया था
आज हम आपको बताने जा रहे हैं हिन्दुस्तान के सबसे बड़े ठग नटवरलाल के बारे में जिसने ताजमहल ,लालकिला और तो और उसने राष्ट्रपति भवन तक बेच दिया था। उसने स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भी चूना लगा दिया था। आजकल जो बड़े-बड़े बिज़नेसमैन जैसे टाटा ,बिड़ला और अंबानी अपनी होशियारी से इतना बड़ा उद्योग स्थापित कर चुके हैं एक समय नटवरलाल नाम के इस शख्स से डरते थे क्योंकि नटवरलाल ने इन लोगों को भी करोड़ों का चूना लगा दिया था।
नटवरलाल के बयान से हिल गया था सिस्टम
करोड़ों की ठगी करने के बाद जब नटवरलाल पकड़ा गया तो उसने जो बयान दिया उससे पूरा सिस्टम ही हिल गया। नटवरलाल ने पुलिस से सिर्फ इतना कहा कि ” मैंने किसी को डरा धमका करके पैसा नहीं वसूला बल्कि मैंने तो सिर्फ लोगों से एक झूठ बोला जिसे लोगों ने सच मान लिया। लोग इतने बड़े बेवक़ूफ़ थे कि उन्होंने एक बार भी मेरी कही बात की जांच-पड़ताल करना भी मुनासिब नहीं समझा।”
ठगी की आज़ादी मिले तो देश का कर्जा उतार दूँ
इस निडर ठग की आँखों में ना सजा का डर था और ना ही अपने किये पर कोई पछतावा। बल्कि उसने तो खुद अदालत में खड़े होकर भारत की सरकार को ही ऑफर दे दिया था। नटवरलाल ने कहा कि ”अगर मुझे ठगी की आज़ादी मिल जाए तो मै कुछ ही समय में भारत का पूरा विदेशी कर्जा उतार दूंगा और भारत को गरीबी मुक्त कर दूंगा।
100 से भी ज्यादा केस हुए दर्ज,भिखारी से लेकर वेश्याओं तक को लगाया चूना
नटवरलाल की ठगी का आयाम और विस्तार इतना अधिक था कि पूरे देश में कुल मिलाकर उसके खिलाफ 100 से भी ज्यादा ठगी के मामले दर्ज थे। ठगी के बाज़र में उतारते ही उसने किसी को नहीं छोड़ा ,छोटे-छोटे व्यापरियों से शुरू करके उसने देश के बड़े-बड़े अमीरों को भी ठगा। उसकी ठगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने भिखारियों से लेकर वेश्याओं तक को चूना लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
काबिल वकील बन गया सबसे बड़ा ठग
हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा ठग नटवरलाल(मिथिलेश श्रीवास्तव ) मूल रूप से बिहार के सीवान जिले में स्थित गाँव बंगरा निवासी था। नटवरलाल पेशे से वकील था। एक समय उसकी वकालत का लोहा माना जाता था। मगर उसका दिमाग कुछ ऐसा फिरा कि एक काबिल वकील आगे जाकर हिन्दुतान का सबसे बड़ा ठग साबित हो गया।
113 साल की मिली थी सज़ा
नटवरलाल की ठगी से सरकार इतना अधिक सहम गयी थी कि उसे 113 साल की सजा सुनाई थी। मगर अपनी सजा के दौरान ही वो कई बार जेल से चकमा देकर फरार होने में कामयाब हो जाता था। नटवरलाल को कुल 9 बार गिरफ्तार किया गया मगर हर वो किसी ना किसी जुगाड़ से जेल तोड़कर भाग ही जाता था। खुद पुलिस वालों के लिए उसको कैद में रखना मुश्किल हो गया था।
उस दिन जो भागा दोबारा नहीं मिला
फरार नटवरलाल को 84 साल की उम्र में जब दोबारा पकड़ा गया तो उसे कानपुर की जेल में रखा गया। इसके बाद 24 जून 1996 को नटवरलाल ने जेल में ऐसा माहौल तैयार कर दिया की जैसे उसकी हालत काफी बिगड़ गयी है और अगर तुरंत उसे अस्पताल नहीं भेजा गया तो आज उसकी मौत निश्चित है।ऐसा मंज़र देख जेलर के भी हाथ-पाँव फूल गए। आनन् फानन में उसे एम्स अस्पताल में भेजा जाने लगा मगर रास्ते में बूढ़े नटवरलाल ने अपनी ठगी का एक और कारनामा दिखाते हुए वहां से फरार होने में कामयाबी हासिल की। वो नटवरलाल की ज़िन्दगी का आखिरी कारनामा इसलिए था क्योंकि उस दिन जो नटवरलाल गायब हुआ दोबारा किसी को उसकी भनक तक नहीं लगी।