केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि मुस्लिम उन्हें वोट नहीं देते हैं, लेकिन फिर भी सरकार उनका पूरा सम्मान करती है। उन्होंने यह बात ‘माइंड माइन सम्मेलन’ में कही थी।
रविशंकर ने कहा, ‘BJP को मुसलमानों का वोट नहीं मिलता है, मैं बहुत स्पष्ट रूप से स्वीकार करता हूं कि मुस्लिम हमें वोट नहीं देते हैं, मगर फिर भी हमने उन्हें पूरा सम्मान दिया है। हमने कभी भी उन्हें परेशान नहीं किया है।’
केंद्रीय मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं भारत की विविधता का सम्मान करता हूं। इसे देखने के दो तरीके हो सकते हैं और आज मैं यह बात स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि यहां कई दिनों से हमारे खिलाफ अभियान हो रहा है, मगर आज हम सरकार में हैं, सिर्फ और सिर्फ लोगों की दुआओं और विश्वास की वजह से ही।’
उन्होंने कहा कि हमारे 13 मुख्यमंत्री हैं, हम देश शासित कर रहे हैं। क्या हमने किसी भी इंडस्ट्री में काम करने वाले किसी मुस्लिम को कभी परेशान किया है? क्या उन्हें बर्खास्त किया है? हमें मुस्लिमों का वोट नहीं मिलता है, मैं यह बात स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि हम उन्हें पूरा सम्मान देते हैं।’
अनवर का दिया उदाहरण
अपने बात को और वजन देने के लिए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पद्म श्री से सम्मानित अनवर उल हक का उदाहरण भी दिया है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अनवर को पद्म श्री देने के लिए संपर्क किया था। पश्चिम बंगाल में चाय बागान में काम करने वाले अनवर ने बहुत अच्छा काम किया था। उसकी मां की मौत इस वजह से हो गई थी कि उन्हें वक्त पर मेडिकल हेल्प नहीं मिली थी। अब अनवर ने अपनी बाइक को ही एम्बुलेंस बना दिया और उन्होंने अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचाई है।
JNU पर कही बड़ी बात
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लेफ्टिस्ट विचारधारा के लोगों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा, ‘हमें कुछ लोगों से काफी दिक्कतें हैं, विशेषकर लेफ्टिस्ट विचारधारा के लोगों की वजह से जो पीएम मोदी के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें मेरी शुभकामनाएं क्योंकि अब लेफ्ट पूरी दुनिया से मिट चुका है। वह बंगाल में खत्म हो चुके हैं, केरल और त्रिपुरा में किसी तरह से सर्वाइव कर रहे हैं, मगर दिल्ली में लेफ्ट के पास काफी अच्छा कैंपस है, वह है जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि लेफ्ट को कुछ सांत्वना पुरस्कार तो मिलना ही चाहिेए, जेएनयू वही पुरस्कार है और इससे हमें कोई परेशानी नहीं है।’