अप्रैल के पहले पखवाड़े में दो बड़े त्यौहार आने वाले हैं। पांच अप्रैल को राम नवमी है और ग्यारह अप्रैल को हनुमान जयंती है। इन्ही त्यौहारों को ध्यान में रखते हुए संघ ने बंगाल को ध्यान में रखते हुए एक मेगा प्लान तैयार किया है। यूं तो आरएसएस ने मार्च में कोएम्बटूर में हुई प्रतिनिधि सभा की मीटिंग में अपने प्रस्ताव के जरिए ही अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे, मगर योजना की शुरूआत अब होगी।
प्रतिनिधि सभा संघ की सबसे ताकतवर और महत्वपूर्ण टीम है, उसके प्रस्ताव में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार लगातार जेहादी तत्वों को बढ़ावा देने में जुटी है और अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण नीति फॉलो करते हुए राष्ट्रविरोधी तत्वों को बढावा डेट आ रही है। इससे संकेत मिल गया था कि इस साल संघ के निशाने पर पश्चिम बंगाल है। इसी के चलते अप्रैल के पहले पखवाड़े में एक मेगा प्लान तैयार किया गया है, ताकि प्रदेश की जनता को एक आंदोलन से जोड़ा जा सके।
आरएसएस ने आरोप लगाया था कि ममता सरकार कई जगह दुर्गा पूजा जुलूसों को अनुमति देने से इनकार कर रही है। इसी के चलते रामनवमी पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। पूरे पश्चिम बंगाल में 1200 जगहों पर राम नवमी से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। हर कार्यक्रम से 15000 लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
आरएसएस सीधे किसी कार्यक्रम से ना जुड़ेगा और ना ही अपने बैनर तले कोई कार्यक्रम आयोजित करवाएगा। रामनवमी उद्यापन समिति के बैनर तले ही कार्यक्रम और शोभायात्रा निकाली जाएंगी, जो अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानीय राम नवमी मेला आयोजकों या क्लबों से तालमेल करेंगी। विश्व हिंदू परिषद भी राम नवमी पर राम मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ विशेष श्री राम पूजा आयोजित करेगी, हर शहर और कस्बा स्तर पर इसे आयोजित किया जाना है।
विश्व हिंदू परिषद हनुमान जयंती जो कि 11 अप्रैल को है, उसमे भी विश्व हिंदू परिषद ने शोभायात्राओं के साथ-साथ कोलकाता में एक धर्म सभा करने का ऐलान भी किया है। जिसमें देश के प्रमुख संतों के साथ-साथ वीएचपी के संयुक्त महासचिव सुरेन्द्र जैन भी भाग लेंगे। रामनवमी कार्यक्रमों के लिए स्थान के चुनाव में भी बताया जा रहा है कि काफी मेहनत की गई है। ऐसे स्थानों पर ज्यादा फोकस किया गया है, जहां मुस्लिमों की जनसंख्या ज्यादा होने के चलते हिंदू अपने कार्यक्रम करने में असहज थे।
कोलकाता के सभी इलाकों के अलावा नॉर्थ दीनाजपुर, वर्दवान, वीरभूम, नाडिया और वेस्ट मिदनापुर जैसे जिले श्रीराम पूजा और शोभायात्रा के लिए चुने गए हैं। नॉर्थ दीनाजपुर जहां बिहार और बांग्लादेश के बॉर्डर पर पड़ता है, वहीं वर्दवान और वीरभूम जिले भी सांप्रदायिक रूप से सेंसेटिव इलाके हैं। दो-दो त्यौहारों और यूपी-उत्तराखंड में जीत के चलते माहौल संघ की तरफ बना भी है, जावदपुर यूनीवर्सिटी की घटना ने भी आग में घी का काम किया है।
जेएनयू की तरह बंगाल की इस प्रतिष्ठित यूनीवर्सिटी में भी आजादी के नारे हाल ही में लगाए गए, जिससे टीएमसी के नेता पार्थो चटर्जी को भी बयान देना पड़ा कि इस तरह के राष्ट्रविरोधी बयान देने वालों को सपोर्ट नहीं किया जा सकता। टीएमसी को न उगलते बन रहा है और न निगलते और धीरे-धीरे माहौल वहां राम मय होने लगा है। ऐसे में पांच से ग्यारह अप्रैल तक पश्चिम बंगाल में क्या होता है, इस पर संघ की ही नहीं विपक्षी पार्टियों और पूरे देश की भी नजर रहेगी।