कुलभूषण जाधव पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में नीदरलैंड के हेग में सुनवाई शुरू हो गई है। 11 जजों की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। भारत की तरफ से वकील हरीश शाल्वे और पाकिस्तान की तरफ से तहमीना जांजुआ पक्ष रखेंगी। भारत-पाकिस्तान 18 साल बाद किसी केस में इंटरनेशनल कोर्ट में आमने-सामने हैं।
भारत की ओर से कहा गया है कि, ‘कबूलनामे वाली वीडियो से छेड़छाड़ की गई है। जाधव पर दबाव बनाकर बयान दर्ज किया गया। ICJ पाकिस्तानी सैन्य कोर्ट का फैसला रद्द करे। जाधव को ईरान से अगवा किया गया। भारत जाधव पर लगे सभी आरोपों को खारिज करता है। पाकिस्तान ने कूटनीतिक नियमों का पालन नहीं किया है। भारत ने ICJ को बताया कि उसे डर है कि इस सुनवाई के पूरा होने से पहले ही कुलभूषण जाधव को फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।’
आगे कहा कि, ‘हमने 16 बार राजनयिक मदद की गुहार लगाई। तथाकथित सुनवाई में कोई सबूत नहीं दिया गया। भारत को पाकिस्तानी मीडिया से खबर मिली है कि ऐसे तीन मामले हैं जिसमें ICJ ने वियना संधि के अनुच्छेद 36 के आधार पर फैसला सुनाया गया है।
आगे कहा कि , ‘पराग्वे के नागरिक की गिरफ्तारी पर अमेरिका ने ये भी आंतरिक मामले की दलील दी थी। कोर्ट ने उस मामले को वियना संधि का उल्लंघन माना था। पाकिस्तान ने भारत की गुहार पर प्रतिक्रिया नहीं दी। जाधव के माता-पिता पाकिस्तान जाने चाहते थे उन्हें जाधव से मिलने का वक्त नहीं दिया गया। वियना संधि में राजनयिकों से मिलने की इजाजत देने की बात है। संधि के मुताबिक राजनयिक मदद देने का अधिकार है। ये नागरिक और देश के अधिकार का उल्लंघन है। हमे ICJ पर पूरा भरोसा है।
आगे कोर्ट में कहा कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान ने जल्दबाजी में जो फैसला सुनाया है पाकिस्तान उसे रद्द करे। जाधव को काउंसलर मदद नहीं दी गई। जाधव की फांसी मानवाधिकारों का उल्लंघन है। पाकिस्तान ने राजनयिक मदद देने पर शर्त रखी।